एक तरफ भारतीय बैंक पहले से ही फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे थे, दूसरी तरफ पंजाब नेशनल बैंक में हुए फर्जीवाड़े ने एनपीए की समस्या को और गंभीर बना दिया है, क्योंकि इस फर्जीवाड़े का आंशिक असर यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक पर पड़ सकता है, क्योंकि इन तीनों बैंकों ने पीएनबी द्वारा जारी किए गए एलओयू के आधार पर नीरव मोदी की...
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क्या बैंक निजीकरण सही हल है?
भारत जैसे विशाल देश में 136 करोड़ लोगों के विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में सरकारी बैंक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. यदि ये न हों, तो विशालकाय केंद्रीय योजनाएं जैसे कि जन-धन योजना, मुद्रा योजना आदि कभी लागू ही न हो सकें. इन्हीं से ही व्यापक सामाजिक उत्थान का स्वप्न देखने में सरकार को एक ठोस धरातल मिलता है. यूनाईटेड बैंक आॅफ...
More »लाइलाज हो चुकी है एनपीए की बीमारी-- आदर्श तिवारी
बैंकों की तेजी से बढ़ती गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) आज एक ऐसी लाइलाज बीमारी बन चुकी हैं जिसका इलाज विशेषज्ञों को भी नहीं सूझ रहा है। इसलिए ऐसे में सवाल उठता है कि एनपीए के इस अंधकार से रोशनी कब और कैसे मिलेगी? दरअसल, बैंकों की बुनियाद को कमजोर करने में बढ़ता एनपीए एक बड़ा कारक है। बैंकों के बढ़ते एनपीए को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक भी चिंता जाहिर...
More »भरोसा बरकरार रखने की चुनौती - प्रदीप सिंह
पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकारी बैंकों, बैंकों का ऑडिट करने वाली संस्थाओं और बैंकों के कामकाज पर निगरानी रखने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे यह भी साबित हुआ है कि सरकारी बैंकों में नियुक्त होने वाले निदेशक और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि सहित सब या तो गाफिल थे या शरीके जुर्म। वजह कुछ भी हो, वास्तविकता यही है कि...
More »पिछले 11 सालों में सरकारी बैंकों पर सरकार ने खर्च किए 2.6 लाख करोड़
नई दिल्ली। हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) को 11 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से जुड़ी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक पिछले 11 साल में केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए मोटी राशि लगाई है। आंकड़ा छोटा मोटा नहीं बल्कि पूरे 2.6 लाख करोड़ का है, जो सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों...
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