जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: कुदरत हमें थिरता और नर्तन दोनों सिखाती है। हर्ष और विषाद के बार-बार आने वाले ऐसे ही अवसरों के बीच पहाड़ों का स्वभाव बना है। उत्तरकाशी के उफनते बादल पहाड़ और कुदरत के रिश्तों की जटिलता की ओर ध्यान दिलाते हैं। भला ऐसा कैसे है कि आपदाओं के बीच भी पर्वतीय जीवन प्रकृति-प्रेम का सहजीवन है। बारिश को ही लें। यह मन में हिलोर पैदा करती है। लेकिन...
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32 किलो के ओले गिरे
बिहार में 10 अप्रैल की सुबह आंधी व ओलावृष्टि से जानमाल की भारी क्षति हुई. सीतामढ़ी जिले में आठ लोगों की मौत हो गयी. मुजफ्फरपुर के मोतीपुर स्थित मोरसंडी गांव व इसके आसपास 32 किलो तक के ओले गिरे. -आंधी से आठ की मौत- सीतामढ़ी : आंधी व ओलावृष्टि से जिले में आठ लोगों की मौत हो गयी. रीगा प्रखंड में सबसे अधिक पांच लोगों की मौत हुई है. प्रखंड की सिरौली...
More »खराब हो सकता है 33 करोड़ का धान
जगदलपुर/रायपुर.आंधी, ओले और बारिश की वजह से बस्तर के खरीदी केंद्रों में 33 करोड़ 10 लाख रुपए का धान खराब होने की आशंका है। बकावंड-जगदलपुर में स्थिति ज्यादा गंभीर है। यहां पिछले साल 37 लाख का धान खराब हो गया था। अंधड़ के साथ हुई तेज बारिश से जिले के धान संग्रहण केंद्रों में स्थिति गंभीर हो चली है। केंद्रों में पड़ा लाखों क्विंटल धान बारिश की भेंट चढ़ गया है। हालांकि सभी...
More »रेत की रग-रग में सहेज लेते हैं पानी की बूंदें
जयपुर/जैसलमेर. जैसलमेर में लोग रेत की रग-रग में पानी की बूंदें सहेजना जानते हैं। पानी की हर बूंद के उपयोग की परंपरा यहां सदियों पुरानी है। लोग खाट पर बैठकर नहाते हैं। नीचे इकट्ठा किए पानी को घर व बर्तन धोने जैसे कामों में लेते हैं। तीन तरह का पानी रखते हैं। पीने के लिए मीठा। रसोई के लिए कम खारा और अन्य कामों के लिए खारा। करीब हर घर में...
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