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पढ़ाई के साथ हुनर भी सीखते हैं आदिवासी बच्चे

बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के ककराना गांव में ऐसा आवासीय स्कूल है, जहां न केवल पलायन करनेवाले आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हुनर भी सीखते हैं। यहां उनकी पढ़ाई भिलाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में होती है। वे यहां खेती-किसानी से लेकर कढ़ाई, बुनाई, बागवानी और मोबाइल पर वीडियो बनाना सीखते हैं। अब इस स्कूल का एक भील वॉयस नामक यू ट्यूब चैनल भी चल रहा है। पश्चिमी...

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घटते भूजल के कारण राजस्थान के किसानों के लिए सोलर पंप का इस्तेमाल कर पाना हुआ मुश्किल

मोंगाबे हिंदी, 3 नवम्बर  इस साल जून में जैसे ही तापमान बढ़ा, राजस्थान के झुंझुनू जिले के बदनगढ़ गांव में रहने वाले 69 साल के किसान जमन सिंह सैनी की मुसीबतें भी बढ़ने लगीं थीं। वह अपने 31 एकड़ के बाजरा खेत की सिंचाई एक इलेक्ट्रिक पंप से करने की कोशिशों में लगे थे। उनके सामने कई चुनौतियां थीं, मसलन अनियमित बिजली की आपूर्ति, वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और उससे जुड़े खर्चे। हालांकि...

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आठ नन्हे मेहमानों से बढ़ी गोडावण संरक्षण की उम्मीद

डाउन टू अर्थ, 20 अक्टूबर गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) संरक्षण के लिए इसे अच्छी खबर कहा जा सकता है। इस साल जैसलमेर के दो अलग-अलग जगहों पर बनाए गए कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में कुल आठ नए बच्चे पैदा हुए हैं। इससे इन पक्षियों के संरक्षण की उम्मीद बढ़ गई है।  खास बात यह है कि इनमें से एक बच्चा ऐसा है जिसके अभिभावक भी कैप्टिविटी (पाल्य अवस्था) में ही पैदा हुए हैं।...

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पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 20 अक्टूबर  भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...

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क्या बाड़ लगाने से कम हो सकता है बांग्लादेश के सुंदरबन में मानव-बाघ संघर्ष?

मोंगाबे हिंदी, 20 अक्टूबर अधिकारी सुंदरबन में मानव-बाघ संघर्ष से निपटने के लिए एक नए और अनोखे समाधान के साथ आगे आए हैं। वह इस इलाके को नायलॉन की बाड़ लगाकर सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, उनका लक्ष्य मैंग्रोव में समुदायों और लुप्तप्राय बड़ी बिल्लियों की रक्षा करना है। यह कदम बांग्लादेश वन विभाग की तीन-वर्षीय सुंदरबन बाघ संरक्षण परियोजना का हिस्सा है। इसे मार्च 2022 में शुरू किया...

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