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मनचाहा आॅरेंज रंग नहीं मिला तो रुकवा दिया साइकिल वितरण

जयपुर। राजस्थान में भाजपा की सरकार को स्कूली छात्राओं को वितरित करने के लिए आॅरेंज रंग की साइकिलें चाहिए। हाल में इसके लिए टेंडर मांगे गए लेकिन मनचाहा रंग नहीं मिला तो अब प्रक्रियाा रोक कर फिर से टेंडर मांगे गए हैं। राजस्थान सरकार प्रदेश में सरकारी स्कूलों में नवीं कक्षा से ऊपर की छात्राओं को साइकिलें बांटना चाहती है ताकि घर से स्कूल की दूरी के काारण लड़किया पढ़ाई नहीं...

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कहां बैठेगी पंचायत, कहां पर लगेगी ग्राम कचहरी

पटना : राज्य में पंचायत चुनाव के बाद गांव की सरकारों का गठन होनेवाला है. 30 जून के बाद ग्रामसभा और पंचायतों की बैठकें कहां होंगी. ग्रामसभा कहां बुलायी जायेगी. कचहरी किस स्थान पर लगेगी. राज्य में 8391 ग्राम पंचायत व ग्राम कचहरी अब प्रभावी हो जायेंगी. अब तक 10% पंचायतों के पास भी पंचायत सरकार भवन नहीं हैं. राज्य सरकार ने 2012-13 से पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की...

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राजन ने बताया भारत में गरीबी खत्‍म करने का तरीका

नई दिल्ली। भारतीय गणतंत्र करीब 70 साल का प्रौढ़ हो चुका है। एक तरफ चमचमाती सड़कें तो दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं की कमी। एक तरफ बड़ी-बड़ी इमारतें तो दूसरी तरफ गरीबी की कहानी बयां करती गरीबों की झोपड़ियां हैं। एक ही देश में कहीं इंडिया है तो कहीं भारत। गरीबों और गरीबी के नाम पर सरकारें आती भी हैं और चली भी जाती हैं। लेकिन भारत में गरीबी हटाने के...

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दकियानूसी कैसे हो गई देशभक्ति? - गिरीश्‍वर मिश्र

वैश्वीकरण के दौर में देश और राष्ट्र जैसे शब्द पुराने पड़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी का कंट्री शब्द गंवई क्षेत्र की ओर संकेत करता है। नेशन एक अमूर्त विचार है, जिसका स्वरूप उसके मानने वालों के अपने नजरिए पर ही निर्भर करता है। यह भी एक प्रचलित मत है कि नेशनलिज्म का कोई एक अर्थ नहीं होता, वह एक बहुलार्थी शब्द है जिसका उपयोग किसी भी ढंग से किया जा...

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हमारे राष्ट्रवाद की अग्निपरीक्षा- हरीश खरे

जार्ज आर्वेल और उनके 1946 के लेख ‘राजनीति और अंग्रेजी भाषा' का स्मरण करिए। स्मरण करिए राजनीतिक संवाद में भाषा के प्रयोग के बारे में उनकी चेतावनी को : ‘राजनीतिक भाषा की रचना झूठ को सच जैसा और हत्या को आदरणीय कृत्य दिखाने, और कोरी हवाबाजी को वास्तविकता का जामा पहनाने के लिए की जाती है।' आर्वेल को यह समझने के लिए याद करने की जरूरत है कि जेएनयू प्रकरण...

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