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पेश होगी महंगाई की असली सूरत

नई दिल्ली [जाब्यू]। असलियत में आम आदमी पर महंगाई का कितना बोझ पड़ता है, इसका पता अब ज्यादा आसानी से चल सकेगा। केंद्र सरकार इस हफ्ते पहली बार देशव्यापी नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [सीपीआई] जारी करेगी। नया सूचकांक महंगाई की ज्यादा वास्तविक स्थिति बताएगा। माना जा रहा है कि आगे चलकर मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के स्थान पर सरकार इस नए सीपीआई को ही लागू करेगी। ब्याज दरों का निर्धारण...

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मैंने नहीं कहा अन्ना संसद से ऊपर - अरविन्द केजरीवाल

भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाली टीम अन्ना के कुछ सदस्य अब विवादों के घेरे में आने लगे हैं। कहीं उनके अंतर्विरोध उजागर हो रहे हैं, और कहीं उसके सदस्यों पर हमले हो रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल से बातचीत की दैनिक हिन्दुस्तान के प्रवीण प्रभाकर ने। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश: आप पर चप्पल फेंकी गई। प्रशांत भूषण पर घूंसे चले। क्यों...

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प्लास्टिक से बनाई सड़कें !

भारतीय शहरों का ज़िक्र हो और सड़कों की बात चले तो ध्यान आती हैं टूटी-बदहाल सड़कें और बड़े-बड़े गड्ढे. ये सड़कें न सिर्फ ज़िंदगी की रफ्तार धीमी करती हैं बल्कि शहरों और कस्बों की खूबसूरती में पैबंद की तरह खटकती हैं. लेकिन भारत का एक शहर ऐसा भी है जहां एक शख्स ने कूड़े-कचरे और बेकार प्लास्टिक से सड़कें बनाने की नायाब पहल की. पेश है इस अनोखी कोशिश से जुड़ी सिटीज़न रिपोर्टर...

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बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर

“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...

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रेत की रग-रग में सहेज लेते हैं पानी की बूंदें

जयपुर/जैसलमेर. जैसलमेर में लोग रेत की रग-रग में पानी की बूंदें सहेजना जानते हैं। पानी की हर बूंद के उपयोग की परंपरा यहां सदियों पुरानी है। लोग खाट पर बैठकर नहाते हैं। नीचे इकट्ठा किए पानी को घर व बर्तन धोने जैसे कामों में लेते हैं। तीन तरह का पानी रखते हैं। पीने के लिए मीठा। रसोई के लिए कम खारा और अन्य कामों के लिए खारा। करीब हर घर में...

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