खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...
More »SEARCH RESULT
खबरदार
खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...
More »एटा के 50 गांवों में पेयजल संकट, योजनाएं फेल- उद्योगों पर पानी खारा करने का आरोप
क्विंट हिन्दी, 13 जुलाई उत्तर प्रदेश के एटा के करीब 50 गांव भयानक पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. इन गावों में कई सालों से पीने के पानी की भारी समस्या है. कुछ गांवों में पानी तो है लेकिन खारा पानी है. आज भी लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव वालों का आरोप है कि कुछ फैक्ट्रियों के कारण पानी खारा हुआ है. इसके बाद...
More »जलवायु संकट में भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना
-आइडियाज फॉर इंडिया, सभी देशों की तरह भारत के लिए भी, जलवायु परिवर्तन एक अत्यंत तेजी से बढती समस्या बन गई है। इस लेख के जरिये पिल्लई एवं अन्य तर्क देते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत के संविधान में जलवायु संबंधी कई क्षेत्रों में राज्यों के महत्वपूर्ण कर्त्तव्य निर्धारित किये गए हैं। वे जलवायु नीति में संस्थागत सुधार...
More »तटीय भारत: नया कंटेनमेंट जोन
-डाउन टू अर्थ, इससे पहले आपने पढ़ा कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की वजह से विस्थापन तेजी से बढ़ा है। जलवायु संकट की वजह से समुद्र तट से लगे क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हैं। इस कड़ी में पढ़ें कि भारत के तटीय इलाकों में क्या स्थिति है भारत के तटीय इलाकों और इसके नजदीक रहने वाले लोगों को साल 2,100 में आधे वक्त तक काम के समय घरों में रहने को...
More »