कैसा लगेगा आपको एक ऐसे देश में रहते हुए जहां हर व्यक्ति की पहचान ज़ाहिर करने वाली सूचनाएं (नाम, पता, जन्म-तिथि, फोटोग्राफ- जो भी सरकार चाहे) एक ऐसे डेटा-बेस में इकट्ठे रख दी गई हो कि उसे कोई भी देख सके? इस बात पर ज़रा ग़ौर से सोचिए क्यों भारत में यह स्थिति लगभग आन पहुंची है. ऐसे डेटाबेस में रखी सूचनाओं पर हल्का-फुल्का अंकुश लागू है और इस तक...
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एक नागरिक की जवाबदेही-- रबिभूषण
एक कथन है- 'एक नागरिक की जवाबदेही यही होती है कि जो कुछ भी उसके आस-पास गलत हो रहा है, वह उस पर लोकतांत्रिक ढंग से अपना हस्तक्षेप दर्ज करे.' यह कथन प्रमुख सामाजिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया का है, जो उन्होंने कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा है. वर्ष 2005 से बस्तर अधिक अशांत है. इसी वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने कई उद्योगपतियों-कॉरपोरेटरों के साथ एमओयू साइन किया था....
More »विषमता की दुनिया-- धर्मेंन्द्रपाल सिंह
दावोस में विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) की बैठक से ठीक पहले आर्थिक असमानता पर जारी आॅक्सफेम रिपोर्ट चौंकाती है। ‘एन इकॉनमी फॉर 99 परसेंट' नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, आज बिल गेट्स, वारेन बफेट जैसे केवल आठ धन्नासेठों के पास विश्व की आधी गरीब आबादी यानी 3.6 अरब जनता के बराबर धन-दौलत है और एक प्रतिशत अमीरों के कब्जे में 99 फीसद संपत्ति है। यह हालत तब है...
More »'किसी भी इकॉनॉमी का पूरी तरह से कैशलेस होना संभव नहीं'-- ज्यां द्रेज
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ कहते हैं कि किसी भी इकोनोमी का पूरी तरह से कैशलेस होना संभव नहीं है. वो कहते हैं कि आइडिया है लेस कैश. इससे आम लोगों को बहुत फायदा नहीं होने वाला है. थोड़ा बहुत ही लाभ हो तो हो. ये कोई क्रांतिकारी कदम किसी भी हिसाब से नहीं है. बीबीसी सहयोगी आलोक पुतुल ने ज्यां द्रेज़ से बात की. पूरी बातचीत सुनने के लिए यहांखटका लगायें ...
More »मोदीजी की सुनें या अर्थशास्त्रियों की -- रविभूषण
विगत ढाई वर्ष में मोदी सरकार ने प्रचार पर 11 अरब से अधिक रुपये खर्च किये हैं. नोटबंदी के द्वारा भ्रष्टाचार और कालेधन की समाप्ति की जो बात की जा रही है, कैशलेस समाज और भारत बनाने पर जिस तरह बल दिया जा रहा है, उस पर स्थिरचित्त से विचार करना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि मोदी का कोई कार्यक्रम अकेला नहीं होता. एक स्ट्रोक से कई निशाने लगाने की ऐसी...
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