जब भी दिल्ली के सरकारी भवनों में आला अधिकारी बैठकर भारत के गरीबों का हिसाब लगाने बैठते हैं, तो मुझे सख्त तकलीफ होती है। इसलिए कि ये लोग ऐसा करते हैं, सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए। अगर आंकड़ों से साबित कर सकते हैं योजना भवन के अधिकारी कि राजनेताओं की समझदारी, उनकी आर्थिक नीतियों से देश में गरीबी हट रही है देश में, तो राजनेता दोबारा...
More »SEARCH RESULT
पूरी हुईं मांगें, पाटकर की भूख हड़ताल समाप्त
मुम्बई। राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं। 'नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट' (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा...
More »अप्रैल से बंटेंगे बीपीएल परिवारों को पक्के मकान
बिलासपुर.बीपीएल परिवारों को पक्के मकान अप्रैल से दिए जाएंगे। एकीकृत आवास एवं मलिन बस्ती विकास योजना में शहर में झुग्गी झोपड़ी के निवासियों को शीघ्र ही पक्का मकान मिलेगा। कलेक्टर सोनमणि बोरा ने बुधवार को निर्माणाधीन आवासों का निरीक्षण किया। आईएचएसडीपी योजना में शहर को झुग्गी मुक्त करने के लिए 132 करोड़ 86 लाख रुपए में 7836 आशियाने बनाए जाएंगे। ये आवास दो चरणों में बनेंगे। पहले चरण में 22 करोड़ 74...
More »इन बंजारों की धरती कहां है -- शिरीष खरे
एक बार बीड़ जिले के पाथरड़ी तहसील में कहीं चोरी हुई. कई महीने बीते, मगर चोर का अतापता न चला. आष्टी तहसील से थोड़ी दूरी पर चीखली गाँव हैं. इसी गाँव के पास घूमते-फ़िरते रहवसिया नाम का पारधी परिवार आ ठहरा. बस फिर क्या था, पुलिस ने उसे ही इतनी दूर की वारदात में अंदर डाल दिया. जहाँ रहवसिया दो महीनों तक जेल में रहा, वहीं गाँव में ऊँची जाति...
More »पढऩे की इच्छा, काम की मजबूरी
हाथ में कापी, पुस्तक, पेन, कलम की जगह बच्चों को बोझ उठाना पड़ रहा है। गरीब घर के बच्चे बचपन से ही घर खर्च में माता-पिता की मदद करने पढ़ाई छोड़कर कार्य करने मजबूर हैं। शासन ने बालश्रम कानून बनाया है जिसमें १४ वर्ष से कम उम्र के बच्चे मजदूरी नहीं कर सकते, लेकिन परिवार की आर्थिक पेरशानी को देखकर पेट पालने के उद्देश्य से आज छोटे-छोटे बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं। गरीब...
More »