विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
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धमतरी के बासमती की खुशबू से महकेगा अब पूरा छत्तीसगढ़
राममिलन साहू, धमतरी। बासमती की खेती अब तक सिर्फ पंजाब व हरियाणा प्रदेश की माटी में खुशबू बिखरेती आ रही है। अब छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक में पहली बार 30 एकड़ खेतों में बासमती पुसा सुगंध प्रजाति की फसलें लहलहा रही हैं। बासमती की खेती को कुरूद में सफलता मिली, तो इसे पूरे छत्तीसगढ़ में लागू किया जाएगा। यह पहल कृषि विभाग की आत्मा योजना के द्वारा...
More »खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम करने में विफल रही सरकार
नई दिल्ली। आलू और टमाटर जैसी सब्जियों के साथ-साथ खाने-पीने की लगभग तमाम चीजों के दाम बढ़ने का सिलसिला जारी है। इनकी कीमतें कम करने के लिए निर्यात पर अंकुश लगाने और जमाखोरी पर लागम कसने जैसे उपाय किए गए, लेकिन अब तक उनका असर नहीं नजर आया। जून की शुरुआत से लेकर अब तक टामाटर के भाव चार गुना से ज्यादा बढ़ गए। आलू की कीमत भी डेढ़ गुनी से...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
More »खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह
चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...
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