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सब्सिडी का होगा बेहतर उपयोग- जयंतीलाल भंडारी

यकीनन कल तक लगातार सब्सिडी बढ़ने और सब्सिडी के दुरुपयोग वाले देशों की सूची में भारत पहली पंक्ति में शामिल किया जाता रहा है। अब पहली बार वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में सरकार ने खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पर दी जाने वाली सब्सिडी में 10 फीसदी की कटौती कर दी है। लेकिन सब्सिडी के बेहतर उपयोग का प्रश्न देश के समक्ष उपस्थित है। अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के लिए मोटे...

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खाद्य-सुरक्षाः कैश ट्रान्सफर की हड़बड़ी में है सरकार?

आशंका जतायी जा रही है कि सरकार जल्दी ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का तरीका अपना सकती है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का तरीका अपनाने की आशँका को दो सरकारी चिट्ठियों से बल मिला है। ये चिट्ठियां बीते 10 फरवरी और 11 फरवरी के दिन खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव की ओर से विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य एवं नागरिक...

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बैंकों के वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करेगी सरकार : जेटली

पुणे : सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को और अधिक पेशेवर बनाने के लिए साहसी सुधारों की प्रतिबद्धता जताते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आज बैंकरों को भरोसा दिलाया कि उन्हें 'जोखिम उठाना होगा' और सरकार उनके वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करने को तैयार है. जेटली यहां बैंकों व वित्तीय संस्थान प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञान संगम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घटाने में...

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भूखे रहने को मजबूर क्यों अन्‍नदाता? - देविंदर शर्मा

पिछले लगातार तीन वर्षों से गेहूं की खेती करने वाले किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रुपए प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी पाते रहे हैं। यह गेहूं के किसानों को भुगतान किए जा रहे दामों में तकरीबन 3.6 फीसद की बढ़ोतरी को दर्शाता है। यदि इसकी तुलना सितंबर में केंद्रीय कर्मचारियों को दिए गए 7 फीसद अतिरिक्त महंगाई भत्ता से करें तो पता चलता है कि असंगठित क्षेत्र में किसानों...

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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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