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जंगल-जमीन बचाने के लिए सतपुड़ा में आंदोलन- बाबा मायाराम

इन दिनों सतपुड़ा के जंगलों के आदिवासी आंदोलित हैं। इसकी एक झलक होशंगाबाद में जब दिखाई दी तब आदिवासियों के जोशीले नारों से यहां की गलियां गूंज उठीं। दूरदराज के गांवों से सैकड़ों की तादाद में यहां आकर आदिवासियों ने जता दिया कि शेर पालने के नाम पर उनकी रोजी-रोटी पर लगाई जा रही रोक उन्हें मंजूर नहीं है। इसका पूरी ताकत से विरोेध किया जाएगा। इस जुलूस का फौरी असर...

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नर्मदा पर रार- शिरीष खरे(तहलका हिन्दी)

नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्यों के सूखे इलाकों में नर्मदा का पानी पहुंचाना चाहते हैं. क्या उनकी यह महत्वाकांक्षी कावेरी जल विवाद जैसी अंतहीन समस्या खड़ी करने वाली है? शिरीष खरे की रिपोर्ट. भले ही गुजरात और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो लेकिन नर्मदा को लेकर दोनों राज्य द्वंद्व और टकराव के मुहाने पर खड़े हैं. पानी के बंटवारे को लेकर गुजरात...

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आंदोलन का जश्न -- मेधा( कुडनकुलम से विशेष रिपोर्ट)

इस बार 31 दिसंबर की शाम कुछ अलग तरह से गुजर रही है। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर कन्याकुमारी के तटीय गांव इदिंतकराई में। तमिल में इदिंतकराई का अर्थ है- टूटा हुआ तट। यह गांव बंगाल की खाड़ी के जिस तट पर बसा है, वह एक जगह से टूटा है। गांव के नाम में, उसके तट में टूटन भले हो, लेकिन यहां के लोगों मंे कहीं आपसी टूटन नहीं दिख...

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एक आंदोलन का पुनरुद्धार!- शिरीष खरे(तहलका, हिन्दी)

क्या जल सत्याग्रह की सफलता पिछले 26 साल से चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन में नई जान फूंक पाएगी? शिरीष खरे की रिपोर्ट. पिछले दिनों जल सत्याग्रह के चलते मध्य प्रदेश के खंडवा जिले का घोघलगांव सुर्खियों में आया और उसी के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन भी. नर्मदा घाटी में जल सत्याग्रह का तरीका नया नहीं है. 1991 में मणिबेली (महाराष्ट्र) का सत्याग्रह जल समाधि की घोषणा के साथ ही चर्चा में...

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उनकी आंखों में नहीं है पानी- भारत डोगरा

हाल के दिनों में जिसने भी टीवी पर या अन्य मीडिया में 15-17 दिनों से गले तक नदी के पानी में खड़े नर्मदा जल सत्याग्रहियों के चित्र देखें हैं, वे द्रवित हुए बिना नहीं रह सके हैं। केवल मध्य प्रदेश की संवेदनहीन सरकार ही है, जिसकी नींद देर से टूटी। सरकार ने अब जाकर उनकी मांगों पर गौर किया है। यहां यह बताना जरूरी है कि सत्याग्रही सरकार से अपने...

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