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अर्थातः बचेगा डिजिटल इंडिया?

लड़खड़ाते मोबाइल नेटवर्क, घिसटते इंटरनेट और बढ़ते बिल के बीच टेलीकॉम बाजार को करीब से देखिए, आपको डिजिटल इंडिया हांफता नजर आएगा. वह उम्मीद छीजती दिखेगी जिसकी ताकत पर अर्थव्यवस्था को अगली छलांग लगानी है. सरकार ने वही किया है जो अब तक करती आई है, उसकी नीतियों ने फलते-फूलते प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार का गला दबा दिया है. ई कॉमर्स, ई गवर्नेंस, सबको मोबाइल, ई क्रांति (सेवाओं की इलेक्ट्राॅनिक डि‌िलवरी), डिजिटल...

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एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत गेहूं के बिक्री भाव में 110 रुपये की कटौती की

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री भाव में 110 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती कर दी है। खाद्य मंत्रालय ने एफसीआई को पत्र लिखाकर ओएमएसएस के तहत गेहूं के बिक्री भाव में कटौती करने की सिफारिश की है, तथा जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी होने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय ने गेहूं के बिक्री भाव के लिए अब दौ कैटागिरी निधारित कर...

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इस साल कम वृद्धि का आधार ही आर्थिक सूखे की समाप्ति को सुनिश्चित करेगा

भारतीय रिज़र्व बैंक, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विभिन्न रेटिंग एजेंसियां, निवेश बैंक और कई अन्य संस्थान आर्थिक वृद्धि के अपने पूर्वानुमानों में दनादन संशोधन कर रहे हैं. इनमें से लगभग सभी को इस वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत या इससे दशमलव एक या दो प्रतिशत कम-ज़्यादा रहने का भरोसा है. अधिकांश प्रेक्षक इस दर को निराशाजनक मानते हैं क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले...

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मंदी में आम जनता की बचत पर क्या असर होता है?

आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए बुरी ख़बरों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा. चालू वित्त वर्ष में कई सेक्टर में जारी गिरावट के बाद विश्व बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का अनुमान छह फ़ीसदी से नीचे कर दिया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास वृद्धि पाँच प्रतिशत पहुंचने और ऑटो सेक्टर में भारी सुस्ती के बाद सरकार ने कुछ उपायो की घोषणा की. सरकार...

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वैश्विक आर्थिक सुस्ती का कितना असर हुआ है देश के आयात-निर्यात पर, पढ़िए इस एलर्ट में..

घरेलू स्तर पर मांग में आयी कमी नहीं बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर व्याप्त आर्थिक सुस्ती की चपेट में है- क्या ऐसा कहना उचित है? अगर ये बात ठीक है तो फिर व्यापार से संबंधित आंकड़ों में इसकी झलक मिलनी चाहिए. ऐसी स्थिति में हमारे निर्यात में इजाफा और आयात में कमी परिलक्षित होनी चाहिए. लेकिन आंकड़ों से ऐसा नहीं झलकता- आंकड़ों से एक मिली-जुली तस्वीर झांकती...

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