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बिहार: इस साल राज्य में बाढ़ से बर्बाद हुआ 7.54 लाख हेक्टेयर फसली क्षेत्र

-द वायर, हर वर्ष आने वाली बाढ़ से बिहार में जान-माल का व्यापक नुकसान होता है. इस वर्ष बाढ़ से बिहार में 7.54 लाख हेक्टेयर फसली क्षेत्र प्रभावित हुआ है. वर्ष 2018 में बाढ़ से 0.034 मिलियन हेक्टेयर और वर्ष 2019 में 2.61 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र को क्षति पहुंची. आजादी के बाद 1953 से 2017 तक बिहार में बाढ़ से कुल 2.24 मिलियन हेक्टेयर फसली क्षेत्र का नुकसान हुआ, जिसका मूल्य...

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हाथरस: अन्याय के ख़िलाफ़ हर मोर्चे पर लड़ रहे ये लोग कौन हैं?

-सत्यहिंदी, “जो हाथरस जा रहे हैं, उनके चेहरे देखिए। ये वही हैं जो नागरिकता के नए कानून (सीएए) का विरोध कर रहे थे।” यह सावधान करने के अंदाज में बताया जा रहा है। मानो पेशेवर अपराधियों से सावधान किया जा रहा हो। कहा गया कि इन सबके पोस्टर हमने चौराहों पर लगवाए थे। ये वही हैं जो हाथरस में उस दलित लड़की के परिवार के साथ हमदर्दी जताने पहुँच रहे हैं।...

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कृषि विधेयकों के खिलाफ आखिरकार विपक्ष एकजुट हुआ है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है

-द प्रिंट, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पर्याप्त विचार किए बिना पारित कृषि विधेयकों के विरोध में 18 विपक्षी दलों और 31 किसान संगठनों ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है. विधेयकों में साफ ज़ाहिर कमियों के कारण वे चाहते थे कि राज्यसभा में पारित किए जाने से पहले उन्हें समीक्षा के लिए सदन की स्थाई समिति में भेजा जाए. लेकिन विपक्ष की मांग को सिरे से खारिज कर दिया गया. कई विशेषज्ञों...

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तीन नए कृषि अध्यादेश बड़े खिलाडियों के लिए हैं

-लोकवाणी, किसान को अपनी फ़सल बेचने व स्टॉक की छूट! अब किसान अपना उत्पाद स्टॉक कर सकता है और किसी भी राज्य में जहाँ उसे बढ़िया भाव मिले वहाँ बेच सकता है. इस बात का बड़े ज़ोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. वैसे ये बंदिश कब थी? ख़ैर, मान लिया कि किसी भी राज्य में बेचने की व स्टॉक की छूट दी है इससे किसान अपनी मर्ज़ी का भाव...

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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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