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कम ही लोग जानते हैं कि चे गेवारा भारत आए थे और न के बराबर यह कि वे यहां क्या करने आए थे

-सत्याग्रह, वे छह महीने पहले क्यूबा में हुई सशस्त्र क्रांति के बड़े नायक थे. सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने उन्हें तीसरी दुनिया के देशों से संबंध कायम करने का जिम्मा सौंपा. क्यूबा की क्रांति के दूत बनकर चे ने कई देशों की यात्रा की. भारत सरकार से उन्हें खास बुलावा था, जिसने फिदेल कास्त्रो की सरकार को फौरन मान्यता दी थी. मिस्र होते हुए चे गेवारा भारत...

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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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आपदा में अवसर : महामारी के दौर में देश में 45 जगह जबरन बेदखली

-डाउन टू अर्थ,  कोरोनाकाल की आपदा को अवसर मानते हुए राज्यों ने 20 हजार से अधिक लोगों को उनके घर से जबरन विस्थापित कर दिया। विस्थापित लोगों का यह आंकड़ा 16 मार्च से 31 जुलाई तक का है। हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की रिपोर्ट “फोर्स इविक्शन इन इंडिया इन 2019 : एन अनरिलेटिंग नेशनल क्राइसिस” के अनुसार, देशभर में महामारी के दौरान जबरन बेदखली के कम से कम 45...

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बिहार: 81 लाख से अधिक बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 6 राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है

-न्यूजक्लिक, यह सुनकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में 80 लाख से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए मात्र छह राहत शिविर ही काम कर रहे हैं। वाम दलों के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में 16 बाढ़-प्रभावित जिलों में बाढ़ पीड़ितों को राहत मुहैय्या कराने को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किये हैं। राज्य आपदा प्रबन्धन विभाग...

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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“

-ऐक्शन एड,  अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है.  सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...

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