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‘मन की बात’ करने वाले ‘मनरेगा’ की बात क्यों करने लगे?

-न्यूजलॉन्ड्री, बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत एक बड़ा हिस्सा (40,000 करोड़ रुपए) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मनरेगा योजना में खर्च करने की घोषणा की है. यह हिस्सा केद्रीय बजट में घोषित मनरेगा फंड के अतिरिक्त होगा. खुद को बड़े गर्व से सोशली...

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‘अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन का और इंतज़ार नहीं होता, सफ़र की तारीख नहीं मिली तो पैदल ही चल देंगे’

-द वायर,  विभिन्न राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं, लेकिन इस सफर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने में प्रवासी श्रमिकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हाल यह है कि रजिस्ट्रेशन करने के दस दिन बाद भी उनकी यात्रा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि प्रवासी श्रमिक ट्रेन में बारी आने का इंतजार...

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घर पहुंच कर भी कम नहीं हो रही बिहारी मज़दूरों की दुश्वारियां

-न्यूजक्लिक, इस सोमवार को बिहार के जहानाबाद जिले के सरता मध्य विद्यालय में क्वारंटीन में रह रहे मज़दूरों और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गयी और इस झड़प में ग्रामीणों ने इन मज़दूरों पर रोड़े (पत्थर) चला दिये। इसमें एक प्रवासी मज़दूर अंबिका यादव का सिर फूट गया। बाद में पता करने पर इस झगड़े की वजह यह मालूम हो गयी कि स्कूल में बने उप क्वारंटीन सेंटर पर शौचालय...

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लॉकडाउन: राष्ट्र की रेल और श्रमिक का शरीर

- द वायर, ‘यह हादसा कतई नहीं…’ अंग्रेज़ी अखबार टेलीग्राफ की यह सुर्खी एक सच्चे दिल से निकली चीख है. रुंधे गले से निकली यह चीख एक अधूरा वाक्य है. वाक्य पूरा यही हो सकता है- ‘यह हादसा कतई नहीं, हत्या है.’ हत्या किसने की? हत्यारा निश्चय ही वह ड्राइवर नहीं है, जो मालगाड़ी की रफ्तार को काबू नहीं कर सकता था जब वह रेलवे लाइन पर सिर टिकाए, गहरी नींद में...

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बिहार सरकार ने मजदूरों को आने से रोका

-इंडिया टूडे, लॉकडाउन की वजह से दुर्गति झेल रहे मजदूर की परेशानी कम होने की जगह बढ़ती जा रही है. हजारों की तादाद में सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल निकले मजदूरों को पुलिस और प्रशासन की प्रताड़ना से दो-चार होना पड़ा बल्कि सरकार के हाथों भी वह ठगा महसूस कर रहे हैं. 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर गृहमंत्रालय ने मजदूरों को राज्यों की आपसी सहमति से...

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