ती न दशक तक मिश्राइनमोढ़ा के जंगलों की रक्षा करनेवालों ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी अब महिलाओं को दे दी है. विभिन्न प्रजाति के लाखों पेड़ों की सुरक्षा महिलाएं बखूबी कर रहे हैं. यह सब हो रहा है बिना वन विभाग की मदद या प्रोत्साहन के. हालांकि, प्रशासन और वन विभाग से सहयोग न मिलने से महिलाएं निराश हैं, लेकिन जंगल बचाने का जज्बा कम नहीं हुआ. वन विभाग...
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संसद में स्त्री होने के मायने- सुजाता
एक मर्दाना संसद में एक स्त्री की एेतिहासिक, नाटकीय, भावुक हुंकार से देश कुछ वक्त सकते में आ गया. संसद में मौजूद नये-पुराने खिलाड़ियों को यह दांव स्तब्ध कर गया और जनता को अभिभूत. माननीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी की इस बाजी से खेल पलटा तो नहीं, तथ्यात्मक गलतियां भी बाद में सामने आयीं. लेकिन, संसद में स्त्री राजनेता के व्यवहार को लेकर जेहन में बहुत सारे सवाल जरूर उठे....
More »आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान
तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
More »किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा
गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...
More »बिरसा का अबुआ दिसुम अबुआ राज झारखंड में कब आयेगा?
नौ जून 1900 को रांची के जेल मोड़ स्थित कारागार में बिरसा मुंडा की मृत्यु हुई थी. नौ जून 2015 को उनकी 115 वीं पुण्यतिथि मनायी जा रही है. झारखंड में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है. बिरसा के नेतृत्व में 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे. बिरसा और उसके चाहनेवाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर...
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