प्यारे दोस्तो, साथियों, लेखको और फ़नकारो! यह जगह जहां हम आज इकठ्ठा हुए है, उस जगह से कुछ ज़्यादा फ़ासले पर नहीं है जहां चार दिन पहले एक फ़ासिस्ट भीड़ ने— जिसमें सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से भाषणों की आग भड़क रही थी, जिसको पुलिस की सक्रिय हिमायत और मदद हासिल थी, जिसे रात-दिन इलेक्ट्रॉनिक मास-मीडिया के बड़े हिस्से का सहयोग प्राप्त था, और जो पूरी तरह आश्वस्त थी कि अदालतें...
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पहचान की राजनीति से आगे की राजनीति
भाजपा एक लंबी यात्रा और उठापटक के बाद आज जहां पहुंची है, और जिस तरह की राजनीति कर रही है उसे समझे बिना हम दिल्ली के ताजा नतीजों की ठीक से व्याख्या नहीं कर पाएंगे. 1995-96 का दौर था जब भाजपा अटल-आडवाणी की हुआ करती थी. उस दौर में लालकृष्ण आडवाणी ने ऐलानिया कहा था कि आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स यानी विचारधारा वाली राजनीति की एक सीमा होती है. राजनीतिक विचारधारा पर...
More »जंग के मैदान में नहीं, वतन के सजदे में हैं शाहीन बाग़ की औरतें
ये बात है गुजरे साल 30 दिसंबर की. कहते हैं वो इन सर्दियों का सबसे सर्द दिन था. शहर दिल्ली में 119 साल बाद इतनी ठंड पड़ी थी कि पारा लुढ़ककर 2 डिग्री को जा पहुंचा था. दक्षिण दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसे मोहल्ले शाहीन बाग में औरतों के धरने का वो 17वां दिन था. सैकड़ों की तादाद में औरतें सीएए और एनआरसी के खिलाफ रीढ़ को कंपा...
More »मोदी-शाह की भाजपा ने देश के युवाओं को नाउम्मीद तो किया ही, उससे लड़ने पर भी उतारू हो गई
प्रतिस्पर्धी खेलों में लीग, सीनियर, जूनियर आदि कई स्तर की प्रतिस्पर्धाएं होती हैं. खिलाड़ी का रुतबा इस बात से तय होता है कि वह किस स्तर की प्रतिस्पर्धा में खेलता है. जो नीचे उतरकर निचले स्तर की प्रतिस्पर्धा में ‘बच्चा’ खिलाड़ियों से मुक़ाबला करता है वह अपना रुतबा ही घटाता है. यहां हम इस कसौटी पर अपनी सियासत को कसेंगे, खासकर भाजपा की सरकार को, कि वह छात्रों के आंदोलन...
More »एनपीआर एनआरसी नहीं है फिर इसको लेकर इतनी आशंकायें क्यों हैं?
पिछले दिनों देश भर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर प्रदर्शन हुए. कई राज्यों में ये प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गए और कई लोगों को इनमें जान गवानी पड़ी. इसके बाद प्रधानमंत्री ने दिल्ली में अपनी रैली में जोर देकर कहा कि उनकी सरकार के पहले कार्यकाल से लेकर अब तक कभी भी मंत्रिमंडल या संसद में एनआरसी पर विचार ही नहीं हुआ है. हालांकि, देश...
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