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प्रकृति के बचाव के लिए नए वैश्विक लक्ष्यों को कैसे पूरा करेगा भारत?

द थर्ड पोल, 11 अप्रैल दिसंबर 2022 में दुनिया की सरकारें हर जगह जैव विविधता यानी जंगली पौधों और जानवरों के तेज़ी से गायब होने की समस्या से निपटने के लिए कई कार्रवाइयों पर सहमत हुईं। कुछ विशेषज्ञों ने द् थर्ड पोल को बताया कि भारत को इन लक्ष्यों को असलियत बनाने में कुछ चीज़ों पर ध्यान देना होगा। जैसे: हैबिटैट संपर्क, ऐसे इकोसिस्टम जिन पर ध्यान नहीं दिया गया और...

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भूजल संरक्षण : उत्तर भारत मे रोपाई धान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए सरकार

डाउन टू अर्थ, 5 अप्रैल जल ऊर्जा का भंडार, पोषक तथा जीवनदाता है। इसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं और साथ ही पीने योग्य जल धरती पर अत्यल्प मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में दुनियाभर में जल बचाने की कोशिशें जारी हैं। विश्व स्तर पर जन जागरूकता अभियान जारी है। जल संरक्षण एक नागरिक के तौर पर भी हमारा दायित्व है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (7) के मुताबिक, हर व्यक्ति...

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ओडिशा में हाथी गलियारों के मामले में कार्रवाई न करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

डाउन टू अर्थ, 17 मार्च ओडिशा में हाथी गलियारों को अधिसूचित करने के अदालत के आदेश का पालन न करने के मामले में एनजीटी ने नाराजगी व्यक्त की है। इसके लिए कोर्ट ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और ओडिशा के मुख्य वन्यजीव वार्डन को फटकार लगाई है। मामले में ट्रिब्यूनल ने 14 मार्च 2023 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन, ओडिशा को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।...

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सांभर झील में अधिक बारिश और अवैध नमक खनन के कारण 2019 में कैसे बड़े पैमाने पर पक्षियों की हुई मौत

दिप्रिंट,  10 मार्च राजस्थान में 2019 में एवियन की मृत्यु के चार साल बाद – जहां नवंबर में बड़े पैमाने पर एवियन बोटुलिज़्म के कारण सांभर साल्ट लेक में लगभग 23,000 पक्षियों की मौत हो गई थी वहां वैज्ञानिकों ने पाया है कि अत्यधिक वर्षा के कारण जहरीले बैक्टीरिया में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, जिसने उन्हें मार डाला. यह भारत में एवियन बोटुलिज़्म के कारण पहली दर्ज की गई सामूहिक मृत्यु दर घटना...

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विदेशी प्रजातियों के पौधों के लिए बौने हैं पहाड़, बढ़ रही तादाद और तेजी से हो रहा फैलाव

द थर्ड पोल , 10 मार्च परवेज़ डार पेशे से वनस्पति विज्ञानी हैं। उन्होंने साल 2012 और 2017 में कश्मीर में सड़कों के आसपास घूमकर अच्छा-खासा समय बिताया। इसमें पहाड़ी दर्रा सिंथन टॉप भी शामिल है। इस दौरान उन्होंने घुसपैठिए (विदेशी पौधों) की प्रजातियों का सर्वेक्षण किया। ऐसे पौधे जिनका कश्मीर से कोई वास्ता नहीं रहा है। लेकिन अब इस इलाके में तेजी से फैल रहे हैं। बुनियादी ढांचे के विस्तार...

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