SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 211

बजट कोई घटना है या बढ़ना!-- अनिल रघुराज

कासिद के आते-आते खत इक और लिख दूं, मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जवाब में. सायास या अनायास, जो भी मानें, देश में बजट के सालाना अनुष्ठान का आज यही हाल हो गया है. दो दशक पहले तक लोगों को धड़कते दिल से इंतजार रहता था कि वित्त मंत्री क्या-क्या घोषणाएं करनेवाले हैं. इनकम टैक्स में क्या होने जा रहा है. कस्टम और एक्साइज ड्यूटी को लेकर जहां आयातकों...

More »

नए संकट ज्यादा गंभीर हैं -- हिमांशु

पिछले साल की आखिरी शाम को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसका प्रचार किया गया था। लोग बीते 50 दिनों से कठिनाइयों का डटकर सामना कर रहे थे। इन दिनों वे कतारों में लगे रहे और अपनी खरीदारी भी कम की। मुश्किलों से राहत मिलने की उम्मीद वे मोदी के भाषण से लगा रहे थे। उन्हें यह भी...

More »

अब खेल हो खुला फर्रुखाबादी - मृणाल पांडे

पिछले महीने से सरकार कभी अच्छे दिनों के पुराने सपने जगाती है, कभी देशभक्ति की दुहाई दे जनता से नोटबंदी के इन बुरे दिनों को झेल ले जाने का अनुरोध करती है। फिर भी जब खराब खबरें आना बंद नहीं होतीं, तो वह पटरी बदल लेती है। उत्तर प्रदेश, पंजाब चुनावों की जनसभाओं में अब लुटियन की सरकारी दिल्ली को, पूर्व कांग्रेसनीत सरकार और उसके करीबी मीडिया को, और अंत...

More »

आर्थिक माहौल को लेकर फिक्रमंद - संजय गुप्‍त

पांच सौ व एक हजार के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा के बाद केंद्र सरकार के साथ ही तमाम विशेषज्ञों का अनुमान था कि करीब तीन-चार लाख करोड़ रुपए की राशि काले धन के रूप में होने के कारण बैंकिंग व्यवस्था में लौटकर नहीं आएगी। अब जब पुराने नोट बैंकों में जमा कराने की अवधि बीतने में महज पांच दिन शेष रह गए हैं, तब जितनी राशि के...

More »

आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्‍ााल पांडे

दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close