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एकाध को छोड़, ज्यादातर राज्यों ने इस लॉकडाउन में जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया

कोविड-19 महामारी के इस दौर में दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन – नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिस्बेल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में दिव्यांगजन इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.   एनसीपीईडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के दिव्यांगजन, लॉकडाउन के दौरान गंभीर कठिनाइयों से गुजर रहे थे. भोजन...

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कोविड-19 आर्थिक पैकेजः निर्मला सीतारमण के ‘नए ढाँचागत सुधार’ आख़िर कितने नए हैं?

-बीबीसी, वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने पाँच चरणों में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का पूरा विवरण देश के सामने रखा है. वन नेशन, वन राशन कार्ड के ज़रिए प्रवासी मज़दूरों को उनके काम के ठिकाने पर फ्री अनाज और छोटे-मझोले व्यवसाय के लिए क़र्ज़ में रियायतों के ऐलान किए गए हैं. 'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज के तहत बीते शनिवार को किए गए चौथे ऐलान में स्ट्रक्चरल रिफ़ॉर्म यानी संरचनात्मक बदलाव की...

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लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सामने खाने का संकट, मानवाधिकार संगठनों ने मांगा सबके लिए मुफ्त राशन

-गांव कनेक्शन,  "हम अगले 20 दिन क्या, 50 दिन भी यहीं रूक जाएं, लेकिन हमें खाने के लिए राशन-पानी तो मिले," लॉकडाउन बढ़ने के सवाल पर हेमंत पोद्दार कहते हैं। हेमंत (30 वर्ष) बिहार के कटिहार जिले के निवासी हैं और मुंबई के बांद्रा इलाके में रहकर निर्माण मजदूर का काम करते हैं। उनके साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लगभग 600 मजदूर उनके इलाके में रहते हैं, जिसका...

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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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कोरोना संकट में दिखा गरीबी का नया मानचित्र

-इंडिया टूडे, कोरोना संकट ने सचमुच गरीबी का नया मानचित्र दिखाया है. इस मानचित्र में ऐसे गरीब ज्यादा हैं जो रोज न कमाएं तो उनके लिए पेट की भूख को शांत करना मुश्किल है. सरकारी स्तर पर बांटे जा रहे राशन और फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसे गरीबों की भी तादाद बड़ी है जो रोज न कमाएं तो उन्हें परिवार के साथ भूखे पेट ही...

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