भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनु-स्मृति, विष्णुधर्मसूत्र, गौतमधर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य कृषि उत्पादन का बारहवां अंश लेगा। अगर कोई विशेष संकट उपस्थित हो तो आठवां या छठा अंश भी मांगा जा सकता है। कभी-कभार ही...
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भारी आयात होने से खाद्य तेल सस्ते
महंगाई के दौर में खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। घरेलू बाजार में महीने भर में खाद्य तेलों की कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। ब्याह-शादियों का सीजन चल रहा है, जिससे खाद्य तेलों में मांग तो अच्छी है लेकिन कुल उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा होने के कारण कीमतों में और भी गिरावट आने की संभावना...
More »दलहन व खाद्य तेलों में तेजी का असर उपभोक्ता की रसोई तक- आर एस राणा
वजह - डॉलर के मुकाबले रुपये में आई लगातार गिरावट से आयात पड़ता हुआ महंगा संशय - डॉलर की तेजी से आयातक नए आयात सौदे करने के हिचक रहे हैं। आयातक डॉलर स्थिर होने के बाद ही नए आयात सौदे करेंगे। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई भारी गिरावट का सीधा असर गृहिणी की रसोई पर पडऩा शुरू हो गया है। दलहन के...
More »सरकार ने किया 'चमत्कार', अब 28 रुपये कमाने वाले गरीब नहीं
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कमरतोड़ महंगाई को थामने में नाकाम रही सरकार ने चुनावी साल में 17 करोड़ गरीब कम करने का चमत्कार कर दिखाया है। ऐसा गरीबों की आमदनी का जरिया बढ़ाकर नहीं बल्कि आमदनी के आंकड़े में हेरफेर कर किया गया है। उनकी आय महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 15 फीसद गरीब कम कर दिए गए। पिछले कई सालों से महंगाई भले ही चरम पर हो,...
More »एक रुपये का हेरफेर, गरीबी का मजाक नहीं तो और क्या
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने रोजाना कमाई में महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 17 करोड़ लोगों की गरीबी दूर करने का सेहरा अपने माथे बांध तो लिया है, लेकिन पिछले दो वर्षो में महंगाई की स्थिति को देखते हुए ये आंकड़े आम जनता के साथ क्रूर मजाक सरीखे लगते हैं। सितंबर, 2011 में सरकार ने जब गांव में 26 रुपये रोजाना से ज्यादा कमाई वालों को गरीब मानने के...
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