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अगस्त जलवायु परिवर्तन से वर्षा का क्षेत्र बदला

जनचौक, 03 अगस्त बिहार और उत्तर प्रदेश में सूखा पड़ा है जबकि गुजरात और महाराष्ट्र, राजस्थान में जोरदार वर्षा से बाढ़ आ गई है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है। गुजरात में जोरदार वर्षा से बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि हुई है। इस वर्ष वर्षा से जुड़ी घटनाओं से मरने वालों की संख्या 83 पहुंच गई है। वर्षा समूचे गुजरात में हुई है, लेकिन पांच जिलों-जूनागढ़, गीर सोमनाथ,...

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बिहार में सूखा पड़ने की आशंका

जन चौक, 28 जुलाई  बिहार में सूखा जैसी हालत है। वर्षा बहुत कम हुई है। इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ा है। बहुत बड़े इलाके में रोपनी भी नहीं हुई। जहां नलकूप आदि की सहायता से रोपनी हो गई है, वहां भी वर्षा नहीं होने से फसल सूख जाने की आशंका है। ढंग से बरसात अभी शुरू ही नहीं हुई। जबकि मानसून का आगमन जून में ही हो गया। पर...

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100 रुपये में डीजल, 250 रुपये घंटा सिंचाई दर; सावन में खेतों में उड़ रही धूल

जनचौक, 25 जुलाई  प्रयागराज। सावन के महीने में यूपी में खेतों में धूल उड़ रही है। पिछले साल बारहों महीने बेतहाशा बरसने वाले बादल इस साल मानसून में भी नहीं आये। आषाढ़ बीत गया। खेतों में बेहन रोपनी की राह देखते-देखते चेहरे पत्थर हो चले हैं। रोपनी गीत स्त्रियों के गलों में ही दबे रह गये। जो लोग कहीं से पानी का जुगाड़ करके धान की रोपाई कर भी दिये हैं...

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बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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