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भारत में इस साल सामान्य से बेहतर रहेगा मानसून: आईएमडी

कार्बनकॉपी, 18 अप्रैल भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि भारत में 2024 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि अगस्त-सितंबर तक ला नीना की स्थिति बनने की उम्मीद है, और जून से सितंबर के बीच वर्षा के लांग पीरियड एवरेज (एलपीए, 87 सेमी) का 106 प्रतिशत संचयी वर्षा होने की संभावना है। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने...

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कानून से बचने के लिए क्या रास्ता अपनाते हैं आरओ प्लांट संचालक?

डाउन टू अर्थ, 26 मार्च दिल्ली से लेकर देश के सूखाग्रस्त इलाकों में भी भूजल निकालकर आरओ प्लांट्स के जरिए पानी फिल्टर करने की होड़ चल पड़ी है। इसमें अनगिनत प्लांट्स ऐसे हैं जिनके पास किसी तरह की अनुमतियां नहीं हैं और न ही वे भारत मानक ब्यूरो के दायरे में ही आते हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार में ऐसे कई जिले हैं जहां एक...

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हिमालय में बर्फबारी न होने से आएगा मुसीबतों का दौर

थर्ड पोल, 30 जनवरी  हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति घाटी में इस जनवरी अब तक बर्फ नहीं गिरी है। विक्रम कटोच इस बात को लेकर चिंतित हैं। इकोलॉजी के लिहाज से नाजुक इस घाटी को पर्यावरण संबंधी दिक्कतों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने की दिशा में काम करने वाले एक एनजीओ, सेव लाहौल स्पीति सोसाइटी के उपाध्यक्ष कटोच कहते हैं, “अब तक हमारे यहां कम से कम चार से...

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हमें रोजमर्रा की जिंदगी के लिए मौसम पूर्वानुमान को मुख्यधारा में लाना चाहिए: आईएमडी प्रमुख

इंडियास्पेंड, 24 जनवरी वर्ष 2023 प‍िछले 100,000 की अपेक्षा सबसे गर्म वर्ष रहा। पृथ्‍वी के लगभग सभी महाद्वीप पर गर्मी के रिकॉर्ड टूट गए। सेंटर फॉर साइंस के एक र‍िपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023 के पहले नौ महीनों में 273 से 235 दिन (86% से थोड़ा अधिक) में अत‍िव‍िषम मौसम रहा। गर्मी और ठंडी लहरों, चक्रवात और बिजली से लेकर भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन तक, पर्यावरण के साथ हर...

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खेती पर आपदाओं की गाज से किसानों पर सालाना पड़ रही है 10.2 लाख करोड़ रुपए की मार

डाउन टू अर्थ, 01 दिसम्बर  खेती-किसानी आसान नहीं और ऐसे में जब साल दर साल आपदाओं का जोखिम बढ़ रहा है तो इसे करना महंगा सौदा बनता जा रहा है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इन आपदाएं के चलते दुनिया भर के किसानों पर हर साल 10.2 लाख करोड़ रुपए (12,300 करोड़ डॉलर) से ज्यादा की मार पड़ रही है। जो वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र...

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