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आलू में छिपे खजाने को कब पहचानेंगे-- रमेश कुमार दूबे

अपने राजनीतिक बयानों को लेकर जब-तब चर्चा में रहने वाले कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आलू की फैक्टरी लगाने वाले बयान ने खासी सुर्खियां बटोरीं। कोई इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया' मुहिम पर व्यंग्य बता रहा है तो कोई राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता करार दे रहा है। यदि राजनीति से परे हट कर देखा जाए तो भारत में आलू की चर्चा नकारात्मक संदर्भों में...

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आखिर क्यों जल उठा बेंगलुरु-- आर सुकुमार

वह 2000 के दशक का शुरुआती वर्ष था। इंफोसिस लिमिटेड ने बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी के अपने कैंपस में एक शानदार विंग बनाई ही थी, तब मैं कंपनी के तत्कालीन चेयरमैन एन आर नारायण मूर्ति से मिलने गया था। हम जब कैंपस घूम रहे थे, और कारोबार व लोगों और लगभग हरेक इमारत के स्वागत कक्ष में रखे रंग-बिरंगे चमकीले छातों के बारे में बातें कर रहे थे, तब उन्होंने...

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ऊंची विकास दर के शहसवार - सुषमा रामचंद्रन

यकीनन यह बेहद खुशी की बात है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज विकास दर वाला देश बन गया है। हाल ही में जारी किए गए नवीनतम अधिकृत डाटा के अनुसार वित्त-वर्ष 2015-16 में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत थी। यह चीन की 6.7 प्रतिशत विकास दर से बहुत आगे है। इतना ही नहीं, वित्त-वर्ष की पिछली तिमाही में तो 7.9 प्रतिशत से भी अधिक की विकास दर...

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सवाल विज्ञान-मुखी बनने का है-- प्रमोद जोशी

विजय माल्या के पलायन, देशद्रोह और भक्ति से घिरे मीडिया की कवरेज में विज्ञान और तकनीक आज भी काफी पीछे हैं. जबकि इसे विज्ञान और तकनीक का दौर माना जाता है. इसकी वजह हमारी अतिशय भावुकता और अधूरी जानकारी है. विज्ञान और तकनीक रहस्य का पिटारा है, जिसे दूर से देखते हैं तो लगता है कि हमारे जैसे गरीब देश के लिए ये बातें विलासिता से भरी हैं. नवंबर...

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युवा, लाभांश और देश का भविष्य- संदीप मानुधने

देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...

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