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बिहार: 81 लाख से अधिक बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 6 राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है

-न्यूजक्लिक, यह सुनकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में 80 लाख से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए मात्र छह राहत शिविर ही काम कर रहे हैं। वाम दलों के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में 16 बाढ़-प्रभावित जिलों में बाढ़ पीड़ितों को राहत मुहैय्या कराने को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किये हैं। राज्य आपदा प्रबन्धन विभाग...

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भारत बीते 50 सालों की सबसे भयावह मानवीय त्रासदी के दौर में प्रवेश कर चुका है

-द वायर, भारत का गरीब और मजदूर वर्ग अब अख़बार के भीतरी पन्नों और टीवी स्क्रीन से गायब हो गया है. ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं और अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, तब भूख और रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. सच तो सिर्फ इतना है कि अचानक से थोपे गए...

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जल शक्ति मंत्रालय की हर घर जल योजना में पानी के साथ आर्सेनिक भी घर-घर पहुंचेगा

-द प्रिंट, बिल्ली होती है ना, बिल्ली.  वह क्या करती है, दूध पीते समय अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि कोई उसे देख नहीं रहा. यही हाल पानी से जुड़ी सभी ऐजेंसियों को जोड़कर बनाए गए जलशक्ति मंत्रालय का भी है. गंगा पथ पर पानी की गुणवत्ता जांचे बिना वह हर घर नल जल पहुंचाने में जुटा है. डिटेल में जाने से पहले सौरभ सिंह की छोटी सी...

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दाने-दाने को मोहताज हुए दिल्ली के मजदूर

-डाउन टू अर्थ, लगभग डेढ़ माह पहले पूरे देश का ध्यान महानगरों से अपने घर गांव लौट रहे मजदूरों की ओर था। डाउन टू अर्थ ने तब इन मजदूरों के साथ पैदल सफर किया, लेकिन समय के साथ इन मजदूरों को फिर से भुला दिया गया है। लॉकडाउन खुल चुका है। ऐसे में जो मजदूर अपने गांव नहीं जा पाए या जो गांव में काम न मिलने पर फिर से महानगर...

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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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