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BIHAR BUDGET 2017 : शिक्षा पर होगा सबसे ज्यादा खर्च

बिहार सरकार की ओर से प्रस्तुत किये गये बजट में शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है. 2017-18 के लिए शिक्षा विभाग के लिए सरकार ने 25,251.39 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो पिछले साल की तुलना में 3354 करोड़ रुपये अधिक है. राज्य  सरकार तीन नये विश्वविद्यालय भी इस साल खोलने जा रही है. साथ ही मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत दो सालों में सभी घरों में...

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नीतियां सही, पर समय गलत-- डा. भरत झुनझुनवाला

बीते बजट की अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने सराहना की है. बावजूद इसके इस पाॅलिसी के सफल होने में संदेह है. वर्तमान समय में यह पाॅलिसी अनुपयुक्त है जैसे मातम के समय शहनाई अनुपयुक्त होती है. वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छोटे करदाताओं को छूट दी है. छोटे करदाताओं को पूर्व में 2.5 लाख रुपये की छूट थी, जिसे बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर दिया है. इस छूट के बाद...

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खाद्यान्न की बंपर पैदावार, 50 लाख टन ज्यादा दाल

नई दिल्ली। मानसून की अच्छी बारिश और सरकार की नीतिगत तैयारियों के मद्देनजर रबी सीजन में खाद्यान्न की बंपर पैदावार होने का अनुमान है। जबकि दलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि होगी। देश की खाद्य सुरक्षा के लिए यह राहत की बात है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जबर्दस्त सुधार की संभावना है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू वर्ष में खाद्यान्न की कुल पैदावार अब...

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रोजी-रोजगार का हाहाकार-- अनिल रघुराज

बिगाड़ना बड़ा आसान है, बनाना बहुत मुश्किल. इसी तरह रोजगार मिटाना बहुत आसान है, जबकि रोजगार बनाना बहुत मुश्किल. अगर ऐसा न होता, तो हर साल दो करोड़ नये रोजगार पैदा करने का वादा करनेवाली मोदी सरकार अपने आधे कार्यकाल तक कम-से-कम पांच करोड़ रोजगार तो पैदा ही कर चुकी होती. लेकिन, सरकार का श्रम ब्यूरो बताता है कि देश में रोजगार देनेवाले आठ प्रमुख उद्योग क्षेत्रों में अप्रैल से...

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लोक-लुभावन राजनीति के नुकसान - डॉ अनिल प्रकाश जोशी

हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...

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