नई दिल्ली: जल जंगल और जमीन, ये हो जनता के अधीन। आधी दुनिया नारी है, जमीन में दावेदारी है......नारी उतरे खेत में, गूंज सारे देश में। जी हां जंतर-मंतर से उठती आवाजें। लगभग 10000 लोगों की भीड़। जिसमें महिलाओं की बहुत बड़ी संख्या। माईक का शोर,नारे की गूंज..ढ़ोल का थाप,तालियों की गड़गड़ाहट, चेहरे पर चिंता की लकीरें,संसद की ओर निहारतीं पथरीलि आंखे... लेकिन गांधी के रास्ते पर भरोसा..सत्याग्रह में आस्था...
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संस्थागत भ्रष्टाचार और राजनीति-- एम के वेणु
तेज-तर्रार और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली शराब कारोबारी विजय माल्या चुपचाप देश छोड़कर भाग गए, क्योंकि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय एक दर्जन से अधिक बैंकों के 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज को जान-बूझकर न चुकाने के मामले में उनका पीछा कर रहा है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय आईडीबीआई बैंक द्वारा माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए 950 करोड़ रुपये के एक अलग मामले की भी जांच कर रहा है,...
More »'आधार' पर राज्यसभा की उपेक्षा से संसदीय व्यवस्था को खतरा
लोकसभा में ‘आधार' को मनी बिल के तौर पर पास करवाने के बाद राज्यसभा में बिल पेश किया गया है जिससे यह बिल संसद में पारित हो ही जाएगा। इस असंवैधानिक कदम को उठाने के लिए सरकार क्यों मजबूर हुई जो और भी कई वजहों से गैरकानूनी है? राज्यसभा की उपेक्षा से संविधान तथा संसदीय व्यवस्था को खतरा - मोदी सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है जिसकी वजह से कई...
More »कहीं पत्रकारिता की शक्ल अचानक बदलने तो नहीं लगी...?-- सुधीर जैन
पत्रकारिता पर क्या वाकई विश्वसनीयता का संकट आ गया है...? यह सवाल विद्वान लोग उठाते थे, अब जनसाधारण में ये बातें होने लगी हैं। पहले और अब में एक फर्क यह भी है कि पहले अपनी विश्वसनीयता के कारण पत्रकारिता जनता पर जितना असर डालती थी, अब उतना नहीं डाल पाती। अब तो मीडिया का पाठक या दर्शक हाल के हाल उसकी ख़बरों और खयालों पर टीका-टिप्पणी करने लगा है।...
More »कितना हो फसल का मुआवजा, तय करेगा सुप्रीम कोर्ट
साल दर साल सूखे, वारिस और ओला वृष्टि से परेशान किसान एक ओर जहां मुआवजे के लिए सरकार का मुंह देख रहे हैं, और ये उम्मीद कर रहे है कि 5 साल में भले ही उनकी आमदनी दुगुनो हो, न हो लेकिन विगत दिनों देश के बड़े हिस्से में जिस तरह से ओला वृष्टि से किसानों की कमर टूट गयी है, उससे राहत के लिए मुआवजा मिले..ताकि उनकी जिंदगी सरल...
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