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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट

खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...

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किसानों को छह फ़ीसदी पर ऋण

नयी दिल्ली : बैंकों से कर्ज लेकर सही समय पर उसकी वापसी करनेवाले किसानों को अब तीन लाख रुपये तक का फ़सली कर्ज छह प्रतिशत की ब्याज दर पर मिलेगा. बाकी किसानों के लिए सात प्रतिशत ब्याज पर फ़सली ऋण दिये जाने की योजना इस साल भी जारी रहेगी. किसानों को सस्ता फ़सली ण उपलब्ध कराने के लिए सरकार बैंकों और वित्त संस्थानों को दो प्रतिशत की दर से ब्याज...

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हर साल सूखाड अकाल..! कोरैया के किसानों से सीख लीजिए..

गढवा : सूखाड-अकाल भोग रहे झारखंड में एक ऐसा गांव भी जहां किसानों ने अपनी कठोर मेहनत से इंद्रदेव के कोप को नाकाम कर दिया है। गढवा जिला के कौरया गांव के किसानों की खेतों में मकई और धान की फसल लहलहा रही है। यह महज एक पखवारे के परिश्रम का फल है। और अब तो हफ्ते भर से हो रही बारिश ने और भी उम्‍मीदें जगा दी हैं। शायद,...

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कुपोषण-मछरी जल बीच मरत पियासी

कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...

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ना ना करो बहाना करो- प्रभाष जोशी

फरियादी भी थे, और मुंसिफ भी था-फरियाद हुई मगर फैसला नहीं हुआ। कारण, मुंसिफ बीच बहस से उठकर चला गया। कुछ ऐसा ही नजारा पेश आया जयपुर स्थित स्थानीय विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग के सभागार में। मौका था मजदूर किसान शक्ति संगठन और साथी संगठन द्वारा आयोजित जन-सुनवाई का और शिकायतें थीं राजस्थान के सूचना आयुक्त के कार्यालय से। सूचना आयुक्त एम डी कौरानी आये और सैकड़ों फरियादियों से भरी...

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