SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 499

भोजन के वादे की हकीकत ।। देविंदर शर्मा ।।

खाद्य सुरक्षा कानून संबंधी अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी है. अब हर नागरिक को ‘भोजन का अधिकार' हासिल करने में सरकार मददगार की भूमिका निभायेगी. हालांकि, केंद्र सरकार पिछले कई वर्षो से इस कानून को लाने की कवायद में जुटी थी, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह फैसला चुनाव नजदीक आते देख लिया गया है. इस पूरे मामले में सरकार का पक्ष और इस कानून से किन्हें...

More »

हिमाचलः सीएम और कई नेता ले रहे है हैं गरीबों का राशन!

आम आदमी को सस्ता राशन उपलब्‍ध कराने का गुणगान करने वाले मुख्यमंत्री जी खुद भी उस राशन के हकदार बने हुए हैं। हिमाचल में मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का राशन लेते हैं। यह जानकारी शिमला के संजौली निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रवि कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत मिली है। पिछले तीन महीनों की सूचना के अनुसार सूबे में मुख्यमंत्री, नौकरशाह और कई अन्य नेता पीडीएस का राशन ले...

More »

दलहन पैदावार 10 लाख टन बढऩे का लक्ष्य रखा सरकार ने

रयास- खाद्य सुरक्षा मिशन में 1100 करोड़ रुपये उत्पादक राज्यों के लिए किसानों को मदद खाद्य सुरक्षा मिशन में अब दलहन उत्पादन बढ़ाने पर फोकस किसानों को प्रमाणित बीज, खाद और कीटनाशक सब्सिडी पर दलहन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना सरकार का मकसद इससे किसानों की आय बढऩे और जीवन स्तर सुधरने की भी उम्मीद कृषि मंत्रालय को चालू वर्ष में 190 लाख टन दलहन उत्पादन की आस कृषि मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष 2013-14...

More »

भूख की भाषा और शास्त्र - सुधीश पचौरी

जनसत्ता 30 मई, 2013: हमारे समकालीन सोच-विचार की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ‘गरीब' के बारे में सिर्फ ‘अमीर' (इस प्रसंग में ‘एलीट') विचार करते हैं। गरीब अपनी गरीबी के बारे में विचार करता नहीं पाया जाता। अपने बारे में इस कदर ‘विचार विहीन' होने के बारे में भी गरीब कभी नहीं बोलता। यह बात भी अमीर ही बताते हैं कि गरीब अपनी गरीबी के बारे में इस कारण विचार...

More »

सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?

भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close