मिड-डे मील से बच्चों की मौत ने न केवल देश की अंतरआत्मा को झकझोरा है, बल्कि बिहार में सुशासन व चमत्कारिक विकास की कमजोर नींव को भी उजागर किया है. पहले बगहा में 6 थारू आदिवासियों की पुलिस फायरिंग में मौत, फिर बोधगया आतंकी हमले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन में नौकरशाही के सहारे शासन चलाने के आरोप से बचने के लिए संभवत: सबसे कठिन हालात का...
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भोजन के वादे की हकीकत ।। देविंदर शर्मा ।।
खाद्य सुरक्षा कानून संबंधी अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी है. अब हर नागरिक को ‘भोजन का अधिकार' हासिल करने में सरकार मददगार की भूमिका निभायेगी. हालांकि, केंद्र सरकार पिछले कई वर्षो से इस कानून को लाने की कवायद में जुटी थी, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह फैसला चुनाव नजदीक आते देख लिया गया है. इस पूरे मामले में सरकार का पक्ष और इस कानून से किन्हें...
More »सस्ती बिजली की विभीषिका- डा भरत झुनझुनवाला
उत्तराखंड में आयी आपदा प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक है, लेकिन जल विद्युत परियोजनाओं ने बादल फटने की इस सामान्य घटना को विभीषिका में तब्दील कर दिया है. केदारनाथ के नीचे फाटा व्यूंग और सिंगोली भटवाड़ी विद्युत परियोजनाएं बनायी जा रही हैं. प्रत्येक में करीब 20 किलोमीटर लंबी सुरंग पहाड़ में खोदी जा रही है. सुरंग खोदने के लिए भारी मात्रा में विस्फोटों का प्रयोग हो रहा है. इन विस्फोटों से...
More »बारिश में कैसे पढेंगे बच्चे
पटना: सूबे में मॉनसून को आये 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, पर इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि राज्य के 10 हजार भवनहीन स्कूलों के बच्चे, जो पेड़ के नीचे पढ़ते हैं, बारिश होने पर कहां जायेंगे. हद तो यह है कि एक हजार स्कूलों के पास भवन निर्माण की राशि रहने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. राज्य में सर्व...
More »अब छोटे गांव हैं बड़ा बाजार
खपरैल व को-पक्के मकान वाले गांव आज ब.डे बाजार बन गये हैं. तमाम देसी-विदेशी कंपनियां अब अपने उत्पादों की बिक्री व नये ग्राहकों की तलाश में गांव की ओर रुख कर रही हैं. एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश की दो तिहाई कंपनियां गांव में अपने व्यापार को विस्तार देने की कोशिश में जुटी हैं. इनमें छोटे घरेलू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से लेकर दोपहिया व चार पहिया वाहन बनाने...
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