मुंबई: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने बुधवार को कहा कि संविधान में सिर्फ समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान है, न कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर आईआईटी बॉम्बे में आयोजित आंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में एक छात्र के सवाल का जवाब दे रहे थे. चेलमेश्वर ने...
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जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम
हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...
More »तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा
महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
More »मोदी का आरक्षण दांव और विपक्ष -- शशिशेखर
गरीब सवर्णों को आरक्षण से कितनों का भला होगा, इस सवाल पर सार्थक बहस की जगह हर ओर शोर बरपा है कि इससे दिल्ली दरबार पर काबिज भाजपा का कितना फायदा होगा? क्या इस दांव से सरकार ने विपक्ष के हमलों की धार कुंद कर दी है? चुनावी साल में ऐसे सवाल उठने लाजिमी हैं। इस चर्चा की एक और बड़ी वजह यह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के...
More »क्या कहती है सबरीमाला की राजनीति- एस, श्रीनिवासन
आखिरकार नए साल में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं ने सबरीमाला में प्रवेश करके अपने भगवान अयप्पा की पूजा-अर्चना करने में कामयाबी हासिल कर ली। उन्हें यह सफलता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद मिल पाई है। ऐसा लगता है कि केरल की वाम मोर्चा सरकार औरतों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रही थी। जिन दो महिलाओं...
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