प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सरदार सरोवर बांध को देश को समर्पित किया। इस बांध की ऊंचाई को 138.68 मीटर तक बढ़ाया गया है, और इस तरह यह विश्व के सबसे बड़े बांधों में शामिल हो गया है। लेकिन विश्व में बड़े बांधों को लेकर बांध विषेशज्ञों की राय अच्छी नहीं है। जब टिहरी बांध बन रहा था, तब भी देश में बड़े बांधों को लेकर बहस चली...
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औपनिवेशिक दंश झेलती जनजातियां-- प्रमोद मीणा
वर्ष 1871 में औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश सरकार ने भारत की कुछ खानाबदोश और अर्द्ध खानाबदोश जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम (क्रिमिनल ट्राइबल एक्ट) पारित करके जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया। मुख्यधारा के समाजों से दूर रहने वाली इन जनजातियों को पुश्तैनी रूप से अपराधी मानते हुए उन्हें गैर-जमानती अपराध के दायरे में ला दिया गया। इन जनजातीय समुदायों में थे बावरिया, पारधी, कंजर, सांसी, बंजारा, गरासिया, सहरिया आदि। ये...
More »मौसम की मार झेलने वाली स्वास्थ्य सेवा बनाएं-- डा. पूनम खेत्रपाल
मुंबई में बुधवार को भारी बारिश ने फिर कहर ढहाया, जबकि अमेरिका अन्य देशों में चक्रवातीय तूफानों ने विकसित देशों में भी आपदा प्रबंधन के साथ स्वास्थ्य रक्षा के उपायों की कलई खोल दी है। यह सच है कि जलवायु परिवर्तन अब अपना असर दिखाने लगा है। ऐसे में इसके प्रभावों का पूर्वानुमान लगाकर अचानक आने वाली आपदाओं ही नहीं, डेंगू जैसे कई रोगों के फिर लौटने से निपटने की...
More »बड़े बांध का बड़ा विरोध-- नवीन जोशी
कई तकनीकी एवं कानूनी रुकावटों और लंबे जन-आंदोलनों के बावजूद सरदार सरोवर बांध अंतत: अपनी पूरी ऊंचाई के साथ हकीकत बन गया. मगर ‘एक आदिवासी के विस्थापन की तुलना में सात आदिवासियों को लाभ पहुंचाने' के दावे वाले, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस बांध के उद्घाटन के साथ बड़े बांधों के व्यापक नुकसान की चर्चा थम नहीं गयी है. बड़े बांधों के खिलाफ आवाज बुलंद करनेवालों के तेवर और...
More »हिमालय की पीर -- जयसिंह रावत
हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी। कल्पना करें कि अगर हिमालय न होता तो दुनिया और खासकर एशिया का राजनीतिक भूगोल क्या होता? एशिया का ऋतुचक्र क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने देश होते? विश्वविजय के जुनून में दुनिया के आक्रांता भारत को किस कदर रौंदते? न गंगा होती, न सिंधु होती और...
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