सड़कों को तरक्की का मानक बनाने का एक नतीजा यह हुआ कि अपने जलमार्गों को हम भूल गए, जबकि इन्हें प्राकृतिक पथ कहा जाता है। सड़कें हम बनाते हैं, इन्हें तो कुदरत ने बनाया है। यही प्राकृतिक पथ कभी भारतीय परिवहन की जीवन-रेखा हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ आए बदलावों व परिवहन के आधुनिक साधनों के चलते बीती एक सदी में भारत में जल परिवहन क्षेत्र बेहद उपेक्षित...
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11 साल बाद यूपी के इस गांव में फिर पहुंची बिजली
उत्तर प्रदेश के एक गांव में मंगलवार (13 सितंबर) को पूरे 11 साल बाद बिजली आ सकी। जिस गांव में पिछले 11 साल से बिजली नहीं थी उसका नाम बिधिया है। वह एटा जिले में पड़ता है। इस गांव में बिजली लाने का श्रय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो जाता ही है लेकिन साथ-साथ इसमें वहां रहने वाली एक लड़की का भी बहुत योगदान है। दरअसल, 23 साल की दीप्ति...
More »नवाचारों से ज्यादा जरूरी है बिजली व्यवस्था में सुधार
मनीष वैद्य। बिजली के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना, मप्र बिजली वितरण कंपनी और इससे जुड़े विभागों का घोषित उद्देश्य है। मगर खेद है कि ये सब मिलकर भी इस एक उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे। आंकड़ों का मायाजाल बताता है कि बिजली संबंधी व्यवस्थाएं सुधारने के लिए बीते कुछ सालों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। साथ ही...
More »असमानता की जड़ें-- सतीश सिंह
सरकार चाहती है कि देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो, लेकिन वह बैंकों की सेहत सुधारने की दिशा में ठोस पहल नहीं कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ बैंकिंग क्षेत्र को माना गया है। अर्थव्यवस्था को बैंकों की मदद से ही संतुलित रखा जा सकता है। बैंकों की सकारात्मक भूमिका के बिना वित्तमंत्री देश के विकास के सपने को साकार नहीं कर सकते हैं। संपत्ति शोध कंपनी ‘न्यू...
More »रेप से नहीं बच सकती, इसलिए बच्चेदानी निकलवाने को मजबूर हैं महिलाएं
मुंबई। महाराष्ट्र में गन्ने की कटाई के लिए जाने वाली गरीव महिलाएं हर साल बलात्कार का दंश झेलती हैं। खेतों के मालिक, बिचौलिए और दबंग तक सभी उनको अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं ऐसे में महिलाएं शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं। वे हर साल कई-कई बार इस हैवानियत का सामना करती हैं। इस कुचक्र को तोड़ पाने में असफल घर...
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