SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 6625

रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम

किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....

More »

जिका वायरस के आसन्न खतरों को लेकर दुनियाभर में बढ़ी चिंता

इबोला और स्वाइन फ्लू जैसी महामारी से हाल में निबटने और किसी भी समय इनके दोबारा उभरने की आशंकाओं के बीच दुनिया में एक नयी महामारी का खतरा मंडरा रहा है. मच्छरजनित ‘जिका वायरस' एक नयी वैश्विक चुनौती बन कर उभर रहा है. वैश्विक स्वास्थ्य के लिहाज से इसे लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है. 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के मुताबिक, मई, 2015 में ब्राजील में जिका वायरस का पहला मामला...

More »

'आत्महत्या के विरुद्ध' 2016-- रविभूषण

आत्महत्या का संबंध असहिष्णुता, भय, आतंक और असुरक्षा आदि से उत्पन्न उस अकेलेपन से है, जिसका एक सामाजिक संदर्भ है. आत्महत्या अपने व्यापक अर्थ में हत्या है. आत्महत्या को मनोविज्ञान से जोड़ कर अधिक देखा जाता रहा है, जबकि इसका एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है. रघुवीर सहाय ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता 'आत्महत्या के विरुद्ध' (मई 1967 की 'कल्पना' में प्रकाशित) में 'जनता की छाती' पर चढ़े 'मंत्री मुसद्दीलाल' का एक चित्र...

More »

रांची के डॉ मुखर्जी जो पांच रुपये में करते हैं मरीजों का ईलाज !

महंगे ईलाज के इस युग में कुछ फरिश्ते अभी भी है, जो भगवान बनकर गरीबों के ईलाज के लिए तत्पर है। इनके लिए डॉक्टर की उपाधि भगवान का दिया एक तोहफा है जो जरूरतमंदों की भलाई करने के लिए है, ना कि सिर्फ और सिर्फ कमाई करने के लिए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे ही चिकित्सकों में से एक है जिन्होनें अपने पेशे के साथ- साथ सामाजिक कर्तव्य को आज...

More »

इस तरह न याद करें महात्मा गांधी को-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी की मृत्यु के तुरंत बाद उनकी स्मृति को बनाये रखने, उनके कामों को सम्मान देने की अनेक खबरें कई समाचार पत्रों में कई दिनों तक छपती रही थीं. ऐसी कुछ खबरें मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार में अध्ययन करते हुए पढ़ी थीं. जैसे इस खबर को ही लीजिए- सन् 1948 में मार्च महीने की तीन तारीख को ‘न्यू उड़ीसा' नाम के अखबार में लिखा गया था कि बिहार...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close