कालका. कालका दून क्षेत्र का खोल फतेह सिंह गांव ऐसा गांव है, जहां के ग्रामीण बेटियों को 8वीं के बाद स्कूल भेजते ही नहीं। खोल फतेह सिंह गांव की सभी लड़कियां आठवीं के बाद स्कूल नहीं गईं। कुछ युवा 8वीं से आगे पढ़े ही नहीं हैं। खोल फतेह सिंह गांव के गिनती के मात्र 25 बच्चे लगभग सात किलोमीटर दूर पैदल जंगल के रास्ते से नानकपुर गांव में पढ़ने जाते हैं।...
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संरक्षित जंगल में बाघ घटे, खुले में बढ़े- सचिन शर्मा
भोपाल. मप्र में बाघों की गणना को लेकर मार्च 2011 के नतीजों में एक और बेहद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। उन क्षेत्रों में बाघ घट गए, जहां इन्हें बचाने के लिए ज्यादा राशि खर्च की गई और सुरक्षा के भी चाक चौबंद इंतजाम किए गए,लेकिन उन खुले क्षेत्रों में बाघ बढ़ गए जहां इनकी देखभाल तक करने वाला कोई नहीं था। बीते चार वर्षो में प्रदेश के टाइगर रिजर्व...
More »जहां बरसता है बादल, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं लोग-विजय मनोहर तिवारी
चेरापूंजी में सबसे ज्यादा बारिश होती है। फिर भी यहां पीने के पानी का संकट है। इसलिए क्योंकि लोगों की घरों में पानी बचाकर रखने की आदत नहीं है। यहां पहाड़ ही पानी का जरिया हैं। बहती धाराओं के नीचे बनाए गए कुंड या इनके नीचे खासतौर पर रखी टंकियों में पानी जमा होता है। फिर पीवीसी पाइपों से सीधे घरों में पहुंचता है। स्थानीय निवासी 50 वर्षीय केनी का सवाल...
More »किसान ही बना सकता है ‘उत्तम प्रदेश’
इलाहाबाद में दो सप्ताह से तनाव है, यहां किसान आंदोलनरत हैं। वे नहीं चाहते कि उनकी खेती की जमीन औने-पौने दाम में लेकर उस पर ‘विकास’ किया जाए। ऐसी ही स्थिति बीते दो सालों के दौरान दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा आदि में देखने को मिली है। विकास के नाम पर खेत उजाड़ने पर किसान सड़कों पर उतरता है। देश के सबसे विस्तृत राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक केनवस...
More »फिर तो भू-जल भी एक दिन खत्म हो जाएगा!
अजमेर। अजमेर के आठों ब्लॉक अब भू-गर्भीय जल की मौजूदगी के मामले में अत्यधिक दोहित ब्लॉक्स बन गए हैं। यह कहना है केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक एमएन खान का। उन्होंने बताया कि साल 2000 में इनकी संख्या 6 थी, लेकिन पिछले 10 सालों में बिगड़े हाल तो सुधरे नहीं, लेकिन दो और ब्लॉक भिनाय और केकड़ी में भी हालात परम-चरम पहुंच गए हैं। खान गुरुवार को अजमेर में...
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