Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | संरक्षित जंगल में बाघ घटे, खुले में बढ़े- सचिन शर्मा

संरक्षित जंगल में बाघ घटे, खुले में बढ़े- सचिन शर्मा

Share this article Share this article
published Published on Apr 7, 2011   modified Modified on Apr 7, 2011
भोपाल. मप्र में बाघों की गणना को लेकर मार्च 2011 के नतीजों में एक और बेहद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। उन क्षेत्रों में बाघ घट गए, जहां इन्हें बचाने के लिए ज्यादा राशि खर्च की गई और सुरक्षा के भी चाक चौबंद इंतजाम किए गए,लेकिन उन खुले क्षेत्रों में बाघ बढ़ गए जहां इनकी देखभाल तक करने वाला कोई नहीं था।

बीते चार वर्षो में प्रदेश के टाइगर रिजर्व के 5506 वर्ग किमी क्षेत्र के लिए केंद्र से प्रदेश को 139 करोड़ रुपए मिले। यह राशि 2008 तक मौजूद 300 बाघों के लिए थी। यानी एक बाघ पर 11 करोड़ रुपए खर्च किए गए। या यूं कहें हर महीने तीन करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद बाघों की संख्या घटकर 257 रह गई। 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व में 24 बाघ थे जो इस बार घटकर मात्र तीन रह गए।

जबकि इंदौर-देवास के गैर संरक्षित क्षेत्रों में जहां एक भी बाघ नहीं था, वहां 7 बाघों के होने की पुष्टि हुई है। इसी प्रकार कूनो-श्योपुर क्षेत्र में भी पहली बार तीन बाघ मिले हैं। वहीं रायसेन में 9 की तुलना में 14 बाघों की पुष्टि हुई है। सबसे अधिक बाघ विश्व प्रसिद्ध कान्हा टाइगर रिजर्व में घटे जहां सबसे अधिक राशि आवंटित होती है।

मप्र के संरक्षित क्षेत्रों के लिए केंद्र से मिली राशि

वर्ष 2007-08 : 30 करोड़
वर्ष 2008-09 : 70 करोड़
वर्ष 2009-10 : 24 करोड़
वर्ष 2010-11 : 15 करोड़ (अभी तक)
पिछले चार वर्षो में कुल आवंटित राशि : 139 करोड़

जंगल बढ़ाने से ही बनेगा काम

जंगल बढ़ाने से ही वन्यजीव बढ़ेंगे। संरक्षित क्षेत्र तो वन्यजीवों के लिए कैदखाने जैसा है। अगर वन विभाग को मप्र में बाघों और अन्य वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि करनी है तो गैर संरक्षित क्षेत्रों में जंगल बढ़ाना चाहिए। टाइगर रिजर्व का भारी-भरकम अमला भी वो काम नहीं कर सकता जो खुले गैर संरक्षित क्षेत्र कर सकते हैं।

एमएन बुच,पद्म भूषण एवं पर्यावरणविद,

सिर्फ कान्हा और पन्ना में कम हुए

यह सही है कि इस बार देश में 30 प्रतिशत बाघ गैर संरक्षित क्षेत्रों में ही बढ़े हैं लेकिन संरक्षित क्षेत्रों में भी बाघ बढ़े हैं। मप्र में कान्हा और पन्ना को छोड़कर बाकी सभी टाइगर रिजर्व में बाघ बढ़े हैं।
डॉ.एच एस पाबला,पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ),मप्र

टाइगर रिजर्व के हाल

संरक्षित क्षेत्र
पन्ना : वर्तमान में 3 बाघ, 2008 में थे 24 बाघ।
कान्हा : वर्तमान में 60 बाघ, 2008 में थे 89 बाघ।
(2007 से अब तक संरक्षित क्षेत्रों में सरकार 139 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।)

गैर संरक्षित क्षेत्र

इंदौर-देवास : वर्तमान में 7 बाघ हैं जबकि पहले एक भी बाघ नहीं थे।
कूनो श्योपुर : पहली बार मिले तीन बाघ।
रायसेन : 9 की तुलना में 14 बाघों की पुष्टि हुई है।

क्या होता है संरक्षित क्षेत्र

बाघों के लिहाज से संरक्षित क्षेत्र प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत आते हैं। प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत भारत में 1972 में की गई थी। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिए गए क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व घोषित किया जाता है। इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधि प्रतिबंधित रहती है।

प्रदेश में इस समय छह टाइगर रिजर्व -कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना, संजय हैं।

http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-tigers-number-decrease-in-protected-area-and-on-rise-in-unprotected-area-1998001.html?HT5=


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close