शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...
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गढ्डे के पानी से प्यास बुझा रहे 200 परिवार
जमशेदपुर [मनोज सिंह]। भले ही शुद्ध पेयजल हर नागरिक का मौलिक अधिकार हो, लेकिन शहर के पाश इलाके भाटिया बस्ती से सटी बागेबस्ती में रहने वालों के लिए यह मजाक बनकर रह गया है। इस बस्ती के 200 से अधिक परिवारों के लिए शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जीवनदायिनी खरकई नदी का दुर्गध व कीड़ा युक्त पानी बजाए जीवन देने के बीमारी का कारण बन गया है। बस्ती में उत्क्रमित मध्य विद्यालय...
More »नरेगा श्रमिकों को 3650 करोड़ रुपये का भुगतान
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : राज्य में बीसूका के तहत विभिन्न सूत्रों में इस वर्ष जनवरी, 2010 तक उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की गई। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम के तहत 88 लाख 74 हजार 715 जॉब कार्ड जारी कर 41 करोड़ 87 लाख से अधिक दिवसों का रोजगार सृजित किया गया। जनवरी तक की प्रगति के अनुसार नरेगा योजना में श्रमिकों को मजदूरी एवं सामग्री के रूप में 3650 करोड़ 57 लाख 82 हजार रुपये का भुगतान...
More »दो प्राकृतिक जलस्त्रोतों के सैंपल फेल
शिमला : राजधानी के उपनगरों में दो प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए पानी के सैंपल फेल हो गए है। स्वास्थ्य विभाग ने इन क्षेत्रों में पीलिया फैलने के बाद पानी के सैंपल भरे थे। जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि नगर निगम को इनमें क्लोरिनेशन करने के निर्देश दिए गए हैं। उपनगरों में पीलिया के लगातार मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यू शिमला व मैहली में प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए...
More »हमारी नादानी से नदारद न हो जाएं नदियां
इसे अपनी संस्कृति की विशेषता कहें या परंपरा, हमारे यहा मेले नदियों के तट पर, उनके संगम पर या धर्म स्थानों पर लगते हैं और जहा तक कुंभ का सवाल है, वह तो नदियों के तट पर ही लगते हैं। आस्था के वशीभूत लाखों-करोड़ों लोग आकर उन नदियों में स्नानकर पुण्य अर्जित कर खुद को धन्य समझते हैं, लेकिन विडंबना यह है कि वे उस नदी के जीवन के बारे में कभी भी नहीं सोचते।...
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