देहरादून। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत अब सीमांत एवं लघु किसान अपनी भूमि पर सिंचाई, उद्यानीकरण, पौधरोपण एवं भूमि विकास संबंधी कार्य कर सकेंगे। योजना में अनुसूचित जाति,जनजाति एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना फिलहाल चार ब्लाकों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। एफआरडीसी सुभाष कुमार ने सचिव ग्राम्य विकास, कृषि तथा समस्त जिलाधिकारियों को इस संबंध में...
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मनरेगा अब पाठ्यक्रम में भी
नारायण बारेठ बीबीसी संवाददाता, जयपुर दुनिया में सबसे बड़ी रोज़गार योजनाओं में अपनी जगह बना चुकी भारत की 'महा-नरेगा' योजना ने अब एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी अपना स्थान बना लिया है. राजस्थान में कोटा स्थित वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय ने नरेगा के लिए 'महात्मा गाँधी मेट प्रमाणपत्र' कोर्स शुरू किया है. इसके तहत ऐसे सहयोगी बनाए जाएंगे जो नरेगा के तहत चलने वाली विभिन्न योजनाओं की निगरानी करने लायक़ बनेंगे, रेजिस्टर में...
More »मनरेगा में बड़ा घोटाला, पंचायत पदाधिकारियों ने अपनों को किया भुगतान
राजस्थान में यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में घोटाले का संभवतः सबसे बड़ा मामला है। एक ऐसा मामला जो केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप योजना में पंचायतों के स्तर पर हो रहे गबन, धोखाधड़ी और जालसाजी की मिसाल है। इस भ्रष्टाचार का खुलासा डूंगरपुर जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच से हुआ है। पंचायत पदाधिकारियों ने बिना काम कराए और बिना सामानों की सप्लाई के ही ५८...
More »मनरेगा: 131 करोड़ में सृजित होंगे 70 लाख मानव दिवस
बदायूं। ग्रामीणों को गांव में ही काम मुहैया कराने के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में नये वित्तीय वर्ष के लिए 131 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। अधिकाधिक मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए इस साल 70 लाख मानव दिवस सृजित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। बेरोजगार ग्रामीणों को घर बैठे रोजगारों मुहैया कराने के लिए केन्द्र सरकार यह महत्वाकांक्षी योजना चला रही है। इसके अच्छे...
More »मनरेगा में करोड़ों का फर्जीवाड़ा
भोपाल। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा ) जो अब महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के नाम से जानी जाती है। इस योजना का उद्देश्य था कि क्षेत्र के मजदूरों को अपने ही गाव में काम मिले और वे पलायन नहीं कर सकें, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से काम मशीनों द्वारा करा लिए जाते है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इस कारण गरीब परिवार काम के सिलसिले में...
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