भोपाल। दस दिन चले हिंसक किसान आंदोलन ने मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश को झकझोर दिया है। इस आंदोलन ने सूबे के मुखिया से लेकर प्रशासन, विपक्ष और जनता को भी कुछ संदेश दिए हैं। पेश है नईदुनिया की रिपोर्ट... किसान : थम्स अप फसल की लागत मूल्य और कर्ज माफी के लिए शुरू हुआ आंदोलन कई मुद्दों पर लगभग सफल रहा है। शिवराज ने फसल को समर्थन मूल्य से नीचे नहीं...
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हरित क्रांति की जमीन पर किसानों की खुदकुशी-- संजीव शर्मा
पंजाब में पिछले एक दशक के दौरान हुई किसान आत्महत्या की घटनाओं ने सरकारी तंत्र पर हमेशा सवाल खडेÞ किए हैं। राज्य में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया है लेकिन किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। आज भी सूबे के किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब में सत्ता परिवर्तन को करीब तीन माह हुए हैं और इन तीन महीनों के दौरान करीब 60 किसान मौत...
More »45 हजार की आबादी में अब भी 4 पोस्टमेन बांट रहे चिठ्ठी
जांजगीर चाम्पा। केन्द्र शासन से स्वीकृति के बाद जिला मुख्यालय में संचालित मुख्य डाकघर को प्रधान डाकघर का दर्जा मिलने के बाद 22 मई को प्रधान डाकघर का लोकार्पण किया गया। प्रधान डाकघर में 20 उप डाकघर व 235 शाखा डाकघरों को शामिल कर प्रधान डाकघर का दर्जा दिया गया है। प्रधान डाकघर मिलने से जिम्मेदारी बढ़ी है, बावजूद इसके गिनती के स्टापᆬ के भरोसे काम काज संचालित हो रहा...
More »क्यों धैर्य खो रहे हैं किसान-- संजीव पांडेय
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में किसान उग्र हो गए हैं। दोनों राज्यों में किसान आंदोलन हिंसक हो गया। मध्यप्रदेश में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई। यह घटना पूरे देश के लिए चेतावनी है क्योंकि किसानों ने अब शांतिपूर्वक आंदोलन के बजाय हिंसक रास्ता अख्तियार कर लिया है। कर्ज के बोझ तले दबे किसान फसलों की संतोषजनक कीमत न मिलने के कारण सड़कों पर उतर आए। सरकार की...
More »26 साल से बूंद-बूंद को तरस रहे महाराष्ट्र के इन 3 गांवों में डाली गई पाइपलाइन
महाराष्ट्र के पुणे जिले के मुलशी तालुका में साल 1990 में जब टेमघर बांध बना था तो इस जगह रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा था। उसके बाद से लेकर अब तक इस इलाके में कोई पानी की पाइपलाइन नहीं डाली गई। वेगारे, धनौरी और मंडवखड़क इलाके की महिलाओं को कुएं से पानी लाने के लिए 2-4 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। लेकिन 26 साल बाद यहां...
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