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लक्ष्य से ज्यादा रहेगी चावल की सरकारी खरीद- आर एस राणा

उम्मीद से ज्यादा : 313.34 के लक्ष्य के मुकाबले 370 लाख टन खरीद संभव चालू खरीफ विपणन सीजन 2013-14 में चावल की सरकारी खरीद खाद्य मंत्रालय के लक्ष्य से 18% ज्यादा होने का अनुमान है। मंत्रालय ने एमएसपी पर 313.34 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि वास्तव में यह आंकड़ा 370 लाख टन तक जा सकता है। खाद्य...

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आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले में महाराष्ट्र और गुजरात सबसे अव्वल

विगत आठ सालों में कितने लोगों ने आरटीआई एक्ट के इस्तेमाल के कारण जान गंवाई और कितने लोगों पर जानलेवा हमले हुए ? अगर आप सोचते हैं कि केंद्र सरकार इस प्रश्न का सही-सही उत्तर देगी तो आप भूल कर रहे हैं। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) द्वारा प्रस्तुत एक दस्तावेज(देखें नीचे दी गई लिंक) के अनुसार केंद्र सरकार के पास आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले की आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।  कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय...

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देश के 361 वेयरहाउस जारी कर सकेंगे नेगोशिएबल रसीद

ट्रेडर्स और किसान अब 361 वेयर हाउसों में जिंसों का भंडारण करके नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (एनडब्ल्यूआर) प्राप्त कर सकेंगे। भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) देशभर में 361 वेयर हाउसों को मान्यता दे चुका है, जिनकी लगभग 15.50 लाख टन खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता है। ट्रेडर्स और किसानों के फायदे के लिए डब्ल्यूडीआरए अब प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के गोदामों को भी मान्यता दे रहा है। इन रसीदों के आधार पर बैंकों...

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अब इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट प्रणाली से मिलेगी मनरेगा की राशि

* झारखंड-बिहार में एक जनवरी 2014 से शुरू करने की योजना नयी दिल्ली : मनरेगा के तहत समय पर मजदूरी भुगतान में होनेवाले विलंब से निजात के लिए केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2014 से बिहार-झारखंड में इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट प्रणाली (इएफएमएस) शुरू करने के लिए राज्य सरकारों से अनुरोध किया है. फंड मिलने में होनेवाले विलंब से निजात और जमीनी स्तर पर राशि की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए इएफएमएस की...

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आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...

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