जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के देशों में दूसरे नंबर पर मौजूद भारत बाल-मृत्यु के मामले में दुनिया के सभी देशों से आगे है। इस महीने (सितंबर 2012) यूनिसेफ की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 में पाँच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे भारत में काल-कवलित हुए। भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की संख्या बीते साल नाइजीरिया, डिमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑव कांगो...
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लौह अयस्क निर्याता घोटाला-सीबीआई ने पांच मामले दर्ज किए
बेल्लारी....नयी दिल्ली, 15 सितंबर (एजेंसी) करीब 2500 करोड़ रूपये के अवैध लौह अयस्क निर्यात घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने पांच मामले दर्ज किए और जेल में बंद खनन उद्योगपति जी जनार्दन रेड्डी के सहयोगियों के परिसरों सहित 17 स्थानों पर छापे मारे। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक, जांच एजेंसी ने पांच मामले दर्ज किए। साथ ही एजेंसी ने कंपनियों और निर्यातकों के खिलाफ, करीब...
More »विश्व में सबसे अधिक बाल मृत्यु भारत में
नई दिल्ली। यूं तो पूरी दुनिया में हर दिन पांच साल से कम उम्र के 19 हजार बच्चे बेमौत मर रहे हैं। लेकिन, पिछले वर्ष विश्व में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सबसे अधिक मौतें भारत में हुई है। बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 2011 में देश में इसी आयु वर्ग में 15.55 लाख बच्चों की मौत हुई। न्यूयॉर्क...
More »हथियारों के ‘जखीरे’ पर खडी है दुनिया
नई दिल्ली : अफ्रीका से लेकर एशिया तक हर तरफ मची हिंसा में छोटे हथियारों का अत्यधिक इस्तेमाल हो रहा है और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि राजनीतिक अस्थिरता तथा कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारा नहीं गया तो आने वाले समय में स्थिति और विकट हो जायेगी. - विश्व में 87 करोड़ 50 लाख छोटे हथियार दुनियाभर में कितने छोटे हथियार हैं इसका कोई ठीक ठीक आंकडा नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र...
More »गर्भावस्था है किशोरियों में मौत का सबसे बड़ा कारण
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक किशोरियों में मौत का सबसे बड़ा कारण कम उम्र में उनका गर्भ धारण करना होता है. सेव द चिल्ड्रिन नाम की संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसव के दौरान संक्रमण या बीमारी के चलते 10 लाख किशोरियों की मौत हो जाती है या वे किसी न किसी रूप से जख्मी हो जाती हैं. इस समस्या का सबसे बड़ा कारण गर्भनिरोधकों तक पहुँच न...
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