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नई शिक्षा नीति क्या लड़कियों की स्कूल वापसी करा पाएगी?

-बीबीसी, केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति-2020 को मंज़ूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. इसमें शिक्षा पर सरकारी ख़र्च को 4.43% से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का छह फ़ीसद तक करने का लक्ष्य है. लेकिन क्या इसमें उन लड़कियों की बात है जो 14 साल की उम्र तक आते-आते स्कूल छोड़ देती हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक़, हर साल...

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पिछले 20 सालों में सांप डसने से हुई 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत

हाल ही में, ‘ट्रेंडस् इन स्नेकबाइट मोर्टिलिटी इन इंडिया फ्रॉम 2000 टू 2019’ नामक एक शोध लेख प्रकाशित हुआ है, जोकि राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में सांप के डसने मृत्यु दर के रुझानों से अवगत कराता है. शोध लेख के मुताबिक, जहरीले सांपों के डसने के कारण पिछले दो दशकों में 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हुई है. ओपन एक्सेस जर्नल elifesciences.org में प्रकाशित इस शोध-आधारित अध्ययन में...

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“एक बेहतर दुनिया की ओर”: मेधा पाटकर ने शुरू किया ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित युवाओं का नया अभियान

-न्यूजलॉन्ड्री, ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित हो कर अनेक युवाओं ने एक नया अभियान आरंभ किया- ‘एक बेहतर दुनिया की ओर’. प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस अभियान को जारी करते हुए देश-विदेश के युवाओं को याद दिलाया कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति में इतने संसाधन तो हैं कि हर एक की ज़रूरतें पूरी हो सकें परन्तु इतने नहीं कि एक का भी लालच पूरा हो सके. सबके...

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मार्च 2021 तक बैंकों का एनपीए पिछले दो दशक में सबसे अधिक होने की आशंका: आरबीआई

-द वायर, बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) तुलनात्मक परिदृश्य के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो सकती है. यह मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत थी. रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में यह कहा गया है. रिपोर्ट के अनुसार, बहुत गंभीर दबाव वाले परिदृश्य में सकल एनपीए मार्च 2021 तक 14.7 प्रतिशत तक जा सकता है. इसमें कहा गया है, ‘दबाव परीक्षण यह संकेत देता है कि...

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“मुझे पता नहीं कि भारत देश कितने दिनों तक इस रास्ते पर चलेगा”: साईबाबा को अरुंधति रॉय का पत्र

-न्यूजलॉन्ड्री, सेवा में, प्रोफेसर जीएन साईबाबा अंडा सेल, नागपुर सेंट्रल जेल नागपुर, महाराष्ट्र प्रिय साई, सबसे पहले मैं माफी मांगती हूं कि मैं अरुंधति लिख रही हूं न कि अंजुम. आपने तीन साल पहले उन्हें खत लिखा था, तो निश्चय ही उसे आपको जवाब देना बनता है लेकिन मैं क्या कह सकती हूं- वाट्सएप और ट्विटर की भागमभाग के इस दौर में भी उसके समय की समझ आपकी-मेरी समझ से बिल्कुल अलग है....

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