ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...
More »SEARCH RESULT
मनरेगा: 131 करोड़ में सृजित होंगे 70 लाख मानव दिवस
बदायूं। ग्रामीणों को गांव में ही काम मुहैया कराने के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में नये वित्तीय वर्ष के लिए 131 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। अधिकाधिक मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए इस साल 70 लाख मानव दिवस सृजित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। बेरोजगार ग्रामीणों को घर बैठे रोजगारों मुहैया कराने के लिए केन्द्र सरकार यह महत्वाकांक्षी योजना चला रही है। इसके अच्छे...
More »नीम फसलों का असली हकीम
बुलंदशहर। नीम हकीम से भले ही बचने की सलाह दी जाती हो लेकिन फसलों के लिए नीम ही हकीम है। जहां नीम, वहां क्या करे हकीम। ऐसी कहावतों से नीम की गुणवत्ता सदियों से परिलक्षित हो रही है। यह फसलों की सुरक्षा में भी बेजोड़ है। किसान जैसे-जैसे इसकी खूबियों से वाबस्ता हो रहे हैं, इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है पर पेड़ों के कटान से समस्या यह भी आई है कि जो गांव-घर की...
More »‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »