पिछले दिनों बिहार के साढ़े चार करोड़ लोगों ने मानव शृंखला बना कर दहेज और बाल विवाह के विरुद्ध प्रतिबद्धता जाहिर की। जिस तरह राज्य की राजधानी पटना से लेकर गांव-कस्बों में कतारों में खड़े करोड़ों लोगों ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का संकल्प व्यक्त किया वह यह रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है कि जनजागरण के जरिए सामाजिक बुराइयों को मिटाया जा सकता है। एक साल पहले...
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देश के नामी अस्पताल ने मरीज को बनाया बंधक, गरीब परिवार को थमाया 9.85 लाख का बिल
निजी अस्पतालों से अक्सर ऐसी खबरें आतीं हैं, जो लोगों को हिलाकर रख देती हैं। झारखंड के रांची स्थित नामी मेदांता हास्पिटल से एक चौंकाने वाली खबर आई है, यहां लातेहार के एक गरीब किसान को बंधक बनाकर रखने का आरोप है, क्योंकि उसका परिवार इलाज के बिल का नौ लाख 85 हजार रुपये अदा नहीं कर पा रहा। किसान के परिवारवालों का आरोप है कि मरीज को छुट्टी देने...
More »उन पांच दिनों के नाम-- जयंती रंगनाथन
बात 1993 के अक्तूबर की है। पत्रकारों का एक दल लातूर में आए भूकंप का जायजा लेने मुंबई से वहां जा रहा था। उस दल में मैं भी थी। मुंबई से पुणे होते हुए दस घंटे की उस बस यात्रा के बाद जब सब थके-हारे चाय और खाने की तलाश में दो-चार हो रहे थे, मैं ढूंढ़ रही थी दवाई की दुकान। दुकान तो मिल गई, पर जब उससे पूछा,...
More »'भारत' वाला बजट, इंडिया वाला नहीं-- संदीप बामजई
उपकार फिल्म का एक गाना है- मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा मोती... आम बजट 2018-19 पूरी तरह से इस गाने के सच को पूरा करनेवाला लगता है. यह बजट कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है. यानी यह बजट 'भारत' को ज्यादा तरजीह देनेवाला बजट है, 'इंडिया' को कम. ग्रामीण भारत के लिए, गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के लिए, राष्ट्रीय राजमार्गों के...
More »शोर ज्यादा, मतलब की बातें कम-- अभिजीत मुखोपाध्याय
जैसी कि उम्मीद थी, केंद्रीय बजट-कम-से-कम बजट भाषण- में खेती और ग्रामीण क्षेत्र पर बहुत ही अधिक फोकस किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत से डेढ़ गुना करने का फैसला 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के सरकार के दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा के अनुरूप है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में कहा है कि नीति आयोग द्वारा तैयार प्रणाली के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय...
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