-कारवां, दुनिया भर के देशों में हुए हाल के अध्ययनों में कोविड-19 महामारी के महिलाओं के जीवन पर पड़े विषम प्रभावों का पता चलता है. हालांकि पुरुषों और महिलाओं, दोनों के ही लिए रोजगार के अवसर कम हुए हैं और रोजगार की क्वालिटी भी गिरी है, लेकिन श्रम बाजार में महिलाओं की स्थिति मर्दों के मुकाबले पहले से कहीं अधिक असुरक्षित हुई है. विश्व आर्थिक मंच की “दि ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट...
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आवरण कथा: क्या कागजों में उग रहे हैं जंगल?
-डाउन टू अर्थ, आवरण कथा की पहली कड़ी में आपने पढ़ा - क्या गायब हो गए हैं 2.59 करोड़ हेक्टेयर में फैले जंगल । पढ़ें अगली कड़ी - सबसे बुरी खबर की बात नहीं हुई। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 में कुल 2.587 करोड़ हेक्टेयर रिकॉर्डेड फॉरेस्ट क्षेत्र (राज्य सरकारों के वन विभाग के अधीन वन क्षेत्र) की कहीं बात नहीं है। रिपोर्ट में यह कहीं भी मौजूद नहीं है। इसके...
More »सिलिकोसिस: पत्थर कटाई करने वाले मज़दूर जीते जी नर्क में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं
-द वायर, अगर आप गूगल पर सिलिकोसिस शब्द खोजेंगे तो आपको यह जवाब मिलेगा, ‘सिलिका युक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलने लगती है. इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है.’ लेकिन, हकीकत यह है कि सिलिकोसिस लाइलाज बीमारी है. एक बार सिलिकोसिस होने के बाद...
More »क्यों महत्वपूर्ण है भारत-अमीरात आर्थिक समझौता, इससे कैसे बढ़ेगा निर्यात
-रूरल वॉइस, संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत का व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) हाल ही पूरा हुआ है। इसे इस लिहाज से उल्लेखनीय माना जाना चाहिए कि इसमें कई बातें पहली बार हुई हैं। 2019 के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के बाद पहली बार भारत सरकार ने आर्थिक सहयोग समझौते (ईसीए) में तेजी दिखाई है। भारत और अमीरात के बीच सीईपीए पहला ईसीए है जिसपर एक दशक से भी ज्यादा समय...
More »लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह गई थी स्लमों में रहने वाली दो-तिहाई किशोर बच्चियां
-डाउन टू अर्थ, लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र और तेलंगाना के शहरों में करीब 68 फीसदी किशोर बच्चियों को स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सेवाएं और सुविधाएं नहीं मिल पाई थी। यह जानकारी 02 मार्च 2022 को सेव द चिल्ड्रन द्वारा जारी रिपोर्ट ‘वर्ल्ड ऑफ इंडियाज गर्ल्स (विंग्स) 2022’ में सामने आई है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के बाद (नवंबर 2020 से जनवरी 2021) भी करीब 51 फीसदी से ज्यादा बच्चियों...
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