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कुपोषण-मछरी जल बीच मरत पियासी

कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...

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वाई एस आर- एक नाम गरीबों के दर्दमंद का

  कोई कहता था वाई एस राजशेखर रेड्डी तो कोई सिर्फ वाई एस आर । मेडिकल की पढ़ाई फिर प्रैक्टिस और उसके बाद राजनीति में उतरे आंध्रप्रदेस के मु्ख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी का आकस्मिक और दुखद निधन अधिकारों के दायरे को बढ़ाकर भारत का विकास करने वाली सोच पर एक आघात की तरह है। राजशेखर रेड्डी ने नरेगा और वृद्धावस्था पेंशन जैसे सैकड़ों ग्रामीण विकास योजनाओं को लागू करने में अग्रणी भूमिका...

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नरेगा- बदले बदले से सरकार नजर आते हैं..

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पक्का भरोसा है कि नरेगा  के आगे इस साल का सूखा पानी भरता नजर आएगा लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले बहुत से कार्यकर्ता नरेगा की कामयाबी को लेकर अब आशंकित हो उठे हैं, खासकर नरेगा के प्रावधानों में हालिया फेरबदल के बाद। इधर सूखे ने कुल २४६ जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है उधर बहस इस बात पर सरगर्म हो रही है...

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भूख का बढ़ता भूगोल

भारत में जब से आर्थिक उदारीकरण आया है, एक अद्भुत विरोधाभास उदारवादियों में देखने को मिला है। जहां भारत में कई जगह अभ्युदय हो रहा है। वहीं हालात 20 साल से ज्यादा खराब होते गए हैं। खासकर लोगों की खुराक कम हुई है। सिर्फ जिंदा रहने के लिए लोग इस देश में भोजन ग्रहण कर रहे हैं और इसका मूल कारण जनसंख्या का बढ़ना नहीं है, जैसा कि अनुमान लगाया...

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भोजन का अधिकार विधेयक-छूट ना जाये पत्तल में छेद

भोजन के अधिकार बिल पर चर्चा चल निकली है और अपनी निष्ठा जताते हुए सरकार ने उसको अमली जामा पहनाने की कवायद शुरु कर दी है। ऐसे में नागरिक-संगठनों के कार्यकर्ता और गंवई समस्याओं के गहरे जानकार विशेषज्ञों को यह आशंका सता रही है कि पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लक्ष्य से जुड़ा यह महत्वाकांक्षी बिल  अपने मूल मंतव्य से चूककर कहीं सूरदास को सूंघाने के लिए कढ़ाही में...

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