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अमेरिका में जीएम गेहूं के खुलासे से एशिया में हड़कंप

गंभीर मसला - अमेरिका के ओरेगोन में उगाई जा रही है प्रतिबंधित जीएम किस्म खाद्यान्न पर संकट अमेरिका है दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं सप्लायर एशियाई देश खरीदते हैं वैश्विक व्यापार का तिहाई गेहूं कई वर्षों पूर्व मोनसेंटो की विकसित किस्म को मंजूरी नहीं फिर भी ओरेगोन में इस जीएम किस्म की खेती हो रही यूएसडीए इस गेहूं की सप्लाई होने से किया इंकार विस्फोटक खुलासे के बाद जापान ने आयात रोका, फिलीपींस, चीन व दक्षिण...

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दंडकारण्य का दावानल- कनक तिवारी

जनसत्ता 29 मई, 2013: सुकमा से राष्ट्रीय शोक का एक मर्मांतक ज्वालामुखी पैदा हुआ है। कांग्रेस के काफिले पर नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं समेत करीब तीस लोग मारे गए। बस्तरिहा घाटियों में माओवादियों द्वारा यह पहला नरसंहार नहीं था। माओवादी वर्षों से अपनी क्रूरता के घिनौने कारनामे अंजाम दे रहे हैं। ताजा हमला विशेष मायने रखता है। कांग्रेसी राजनीतिकों का काफिला...

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स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा

जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...

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कब आएगा भाषाई स्वराज- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 22 मार्च, 2013: भाषा के प्रश्न को राजनीति के पुरोधाओं ने इस देश का रिसता नासूर बना दिया। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा संबंधी नियमावली में संशोधन ने उस नासूर में फिर नश्तर लगा दिया। गांधीजी जानते थे कि भाषा का सवाल इस मुल्क की दुखती रग हमेशा बना रहेगा। शायद इसीलिए उन्होंने 1909 में ‘हिंद स्वराज\' में अपने स्वभाव के बरखिलाफ सख्त चेतावनी दी थी कि...

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बैंकों के 68,000 करोड़ रुपये अधर में लटके

चोट - सूत्रों के मुताबिक 7,295 व्यक्तियों या कंपनियों में से प्रत्येक ने 27 बैंकों से एक-एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा कर्ज लिया, और उसे अब तक नहीं चुकाया है   सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 68,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज की वसूली नहीं की है।यह आंकड़ा मार्च,2012 यानी एक वर्ष पहले...

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