बाल श्रम हमारे समय की एक दुखद सच्चई है. तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज हम उद्योग-धंधों से लेकर घर के भीतर तक पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में बाल श्रमिकों को देख सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए बेशक कई कानूनी प्रावधान किये गये हों, लेकिन पिछड़े क्या विकसित कहे जाने वाले समाजों तक में लाखों बच्चों का बचपन पेट की भूख मिटाने में दफन हो जाता है. वर्ल्ड...
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अर्थव्यवस्था पर 'भारी' मोटापा
रोम। मोटापा और कुपोषण दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। इसके लिए जंक फूड सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने यह चेतावनी जारी की है। एफएओ ने कहा है कि मोटापे से होने वाली जटिल बीमारियों पर हर साल लगभग 1.4 लाख करोड़ डॉलर खर्च हो रहे हैं। सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश करके बड़े आर्थिक और सामाजिक नतीजे हासिल कर सकती हैं।...
More »अर्थशास्त्र की ऊंची मीनार से कुपोषण मिटाने की यह कवायद....
भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
More »स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा
जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...
More »सरकार नहीं कर सकी वह ग्रामीणों ने कर दिखाया
गेंदो वर्मा, हजारीबाग। झारखंड के हजारीबाग जिला स्थित कुम्हरा बेंगवरी गांव के लोगों ने अपने सामूहिक प्रयास से वह कर दिखाया जो आज तक कोई भी सरकार उनके लिए नहीं कर पाई। ग्रामीणों ने गांव की जरूरत के लिए माइक्रो थर्मल पावर प्लांट स्थापित कर 1800 आबादी वाले गांव के 200 घरों को बृहस्पतिवार को रोशन कर दिया। यह प्रयास उन तमाम गांवों के लिए प्रेरणादायी है, जो बिजली नहीं...
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