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ओझल आदिवासी समाज- विनोद कुमार

जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...

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बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय

जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...

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नशे में डूबते केरल को बचाएं - पत्रलेखा चटर्जी

आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है कि जो केरल अपनी उच्च साक्षरता दर और मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति के लिए जाना जाता है, वही शराब के उपभोग के मामले में भी पूरे देश में अव्वल है। शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कांग्रेस नेतृत्व वाली राज्य सरकार की हालिया घोषणा के साथ ही यह सवाल एक बार फिर से चर्चा में है। यहां के मुख्यमंत्री ओमन चांडी कहते...

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FCI को बदलने के लि‍ए बनी समि‍ति‍, सुधरेगा अनाज भंडारण

नई दि‍ल्‍ली। नरेंद्र मोदी की सरकार फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडि‍या (एफसीआई) के मौजूदा ढांचे में बड़ा बदलाव आने वाला है। सरकार ने एफसीआई में बदलाव के लि‍ए सरकार ने एक उच्‍च स्‍तरीय समि‍ति‍ का गठन कर दि‍या है। मनी भास्‍कर ने 16 अगस्‍त को ही यह बता दि‍या था कि‍ सरकार एफसीआई को बदलने के लि‍ए उच्‍च स्‍तरीय समि‍ति‍ का गठन करने वाली है। एफसीआई पि‍छले 44 साल से...

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कई जरूरी मुद्दों का जिक्र तक नहीं हुआ!- उर्मिलेश

भाजपा के समर्थक ही नहीं, अनेक गैर-भाजपाई लोग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण की तारीफ करते मिल रहे हैं. उनमें ज्यादातर इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि उनका भाषण लिखा हुआ नहीं था, उसमें अद्भुत जोश था, जमीनी-अनुभवों की रोशनी थी, बड़े वायदे नहीं किये पर जो बातें कहीं, वे बहुत सारगर्भित थीं. बुलेट-प्रूफ कांच की दीवार के बगैर भाषण देने के उनके बेखौफ...

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