कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...
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ग्रामीण राजधानी के लिए पैदल रवाना
बेमेतरा. गत चार सितंबर को ग्राम कठिया में घटित घटना के बाद 34 ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज प्रकरणों एवं कथित ज्यादती को लेकर 17 सितंबर को सुबह 10 बजे ग्राम कठिया के ग्रामीण पद मार्च करते हुए राजधानी के लिए कूच किए। इनमें काफी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल थे। वे पुलिस ज्यादती के खिलाफ नारे लगाते प्रकरण वापस लेने मांग कर रहे थे। कुछ दूरी तक छग स्वाभिमान...
More »नहीं देंगे बूंदभर पानी
गंगानगर. नगंली सलेदीसिंह में ठाकुरजी के मंदिर के सामने आठ गांवों की बैठक हुई। इसमें जल बचाओ, जीवन बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने ग्रामीणों की उपस्थिति में सामूहिक निर्णय लिया तथा गोठड़ा और नानूवाली बावड़ी की योजना के लिए टच्यूबवैल खोदने का विरोध करने का निर्णय लिया। बैठक में लोगों ने कहा कि इस इलाके में इतना पानी नहीं है कि वो गोठड़ा तथा नानूवाली बावड़ी को दिया जा सके।...
More »नरेगा यानी लूट की पूरी छूट
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून यानी नरेगा की हकीकत जानना हो तो आपको झारखंड के लातेहार जिले में जाना चाहिए। आप चाहें तो पलामू, हजारीबाग और देवघर भी जा सकते हैं। सच तो यह है कि पूरा झारखण्ड ही आपको नरेगा की हकीकत से रू-ब-रू करा सकता है। भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले भूमिहीन, मजदूर एवं लघु कृषक परिवारों के आजीविका को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से रोजगार...
More »एक चिठ्ठी बस्तर की व्यथा की......
छत्तीसगढ़ के तृणमूल स्तर के कई कार्यकर्ताओ ने देश के जनपक्षी धड़ों के लिए एक टिप्पणी जारी की है। इस टिप्पणी में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों और आदिवासियों के बीच जारी संघर्ष को विराम देने की अपील की गई है।छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से संबद्ध सुधा भारद्वाज का तर्क है कि विद्रोह को दबाने के नाम पर छत्तीसगढ़ में नरसंहार की आशंका बलवती हो गई है और इसे रोकने के लिए...
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